पार्टनरशिप फर्म / Partnership firm क्या होती है इसका क्या उदेश्य होता है तथा इसके तत्व कौन से होते है ?
उत्तर :- पार्टनरशिप फर्म या साझेदारी की परिभाषा :- साझेदारी दो या दो से अधिक व्यक्तियों का वो समूह है | जिन्होंने किसी व्यापार विशेष को करने के लिए पूंजी लगाई है तथा उनका उद्देश्य उससे लाभ कमाना है
भारतीय साझेदारी अधिनियम की धारा 4 में साझेदारी / पार्टनरशिप की परिभाषा इस प्रकार दी हुई है कि “साझेदारी उन व्यक्तियों के बीच का संबंध है | जिन्होंने किसी ऐसे व्यवसाय के लाभों में हिस्सा पाने का करार कर लिया है | जिसे वे सब चलाते हैं या उन सब की ओर से काम करने वाला कोई व्यक्ति उसे चलाता है”
वे लोग जिन्होंने एक दूसरे के साथ साझेदारी में प्रवेश किया है, व्यक्तिगत रूप से फर्म कहलाते हैं और जिस नाम से व्यापार करते हैं वो फर्म-नाम कहलाता है
इस प्रकार साझेदारी उन व्यक्तियों के बीच का एक संबंध है | जिन्होंने ऐसे व्यवसाय के लाभों में हिस्सा पाने का करार किया है जिसे या तो सब मिलकर चलाते हैं | या फिर, उन सब की ओर से एक व्यक्ति चलाता है | फर्म का प्रत्येक साझेदार उसका मालिक तथा अभिकर्ता/कार्यकर्ता दोनों ही होता है और उनमें से प्रत्येक सब साझेदारो की ओर से कार्य करता है
फर्म क्या है :-
जब कुछ लोग मिल कर एक कोई व्यापार करते है तथा उसका लिखित में वर्णन करके उस भागेदारी को जब एक नाम देते है तो वो वह नाम “फर्म” कहलाता है
पार्टनरशिप फर्म चलाने के लिए 2 या 2 से अधिक व्यक्तियों का होना आवश्यक है | अगर आप बैंकिंग या सहकारी बैंक के व्यवसाय में काम करना चाहते है | तो, कम से कम 10 लोगो का होना आवशयक होता है | लिकिन किसी भी सूरत में इसकी संख्या से 20 से अधिक नहीं होनी चाहिए |
किसी पार्टनरशिप या पार्टनरशिप फर्म चलाने या बनाने के लिए निम्नलिखित तत्व आवश्यक है :-
1. फर्म का रजिस्टर होना :-
वैसे पार्टनरशिप फर्म का रजिस्टर करवाना कोई आवश्यक नही है आप इसे स्टाम्प पेपर पर भी बना कर भी चला सकते हो, ये मान्य होगी | लेकिन अगर आप अपनी फर्म के नाम से कोई सम्पति खरीदते है, तो ऐसे में इसका रजिस्टर होना आवश्यक है | अगर आप कोई भी स्थाई सम्पति 100 रूपए से कम की खरीदते है तो रजिस्टर करवाना जरूरी है | लेकिन उत्तर प्रदेश के एक अध्यादेश के अनुसार अगर आप 100 रूपए से कम की भी सम्पति खरीदते हो तो भी आपको अपनी फर्म रजिस्टर करवानी पड़ेगी | फर्म पार्टनरशिप एक्ट की धारा 69 के तहत रजिस्टर होती है
2. लिखित करार :-
इन लोगो के बीच कोई लिखित करार/अग्रीमेंट होना चाहिए | जो सभी संबंधित व्यक्तियों ने मिल कर किया हो | उसमे सभी नियम व शर्ते लिखी हो, ताकि बाद में अगर कोई विवाद खड़ा हो तो, उसको आसानी से सुलझाये जा सके |
3. साझेदारी का वर्णन:-
जैसा की उपर वर्णन किया है की पार्टनरशिप फर्म मे कम से कम 2 से लेकर 20 लोग तक हो सकते है, तो ऐसे में हिस्सेदारी का वर्णन भी होना जरूरी है की कौन सा हिस्सेदार कितने प्रतिशत की हिहिस्सेदारी देगा | तथा अगर कोई हिस्सेदारी के बजाय अपना श्रम देना चाहता है तो उसको इसमें से उसको अपने श्रम के बदले कितने प्रतिशत की हिस्सेदारी मिलेगी इसका भी वर्णन होना जरूरी है |
4. पार्टनरशिप फर्म का वर्णन:-
अग्रीमेंट के अनुसार फर्म का कोई व्यापार होना चाहिए, तथा उसका व्यापार का वर्णन हो की वो किस प्रकार का व्यापार है
5. व्यापार का स्थान :-
व्यापार के स्थान का वर्णन भी होना चाहिए, की आप किस स्थान पर अपना व्यापार करोगे |
6. पार्टनरशिप फर्म का उदेश्य:-
उस व्यापार का उद्देश्य का वर्णन होना चाहिये, तथा व्यापार या उस कार्य का उदेश्य सिर्फ लाभ कमाना ही होना चाहिए | अगर आप के व्यापार का उदेश्य भिन्न है तो सरकार कभी भी आपकी फर्म को समाप्त कर सकती है तथा इसमें जुर्माने का भी प्रावधान है
7. पार्टनरशिप फर्म का नामकरन :-
उस व्यापार या उस पार्टनरशिप फर्म का एक नाम भी होना आवश्यक है जिसके आधार पर व्यापार किया जा सके |
8. व्यापार का संचालन :-
क़ानूनी रूप से भी, व्यापार सभी संबंधित व्यक्तियों/पार्टनरो द्वारा या उन सब की ओर से किसी एक के पार्टनर द्वारा किया जा सकता है |
9. धन का स्वरूप, बटवारा व निकासी :-
किसी भी व्यापार में सबसे जरूरी होता है धन व उसका बटवारा | ये भी वर्णित किया जाना चाहिए की धन को किस रूप में रखा जायेगा | जैसे की आप उस धन से कोई सम्पति खरीदोगे या फिर उसको वापस व्यापार में लगाओगे या फिर उसे किसी बैंक में जमा करोगे, तथा ये भी हो की, अगर धन बैंक में है | तो उसे कैसे व किस प्रकार निकला जायेगा और अगर वो किसी सम्पति के रूप में है तो उसे कैसे विघटित यानि स्वरूप को बदल कर आपस में बाटा जायेगा |
10. पार्टनरशिप फर्म की अवधि :-
अगर, आप का व्यापार कुछ समय के लिए है, तो उसकी समय अवधि भी लिखी हुई होनी चाहिए | की, उस दिन, या फिर इस स्टेज पर, आप, अपनी इस फर्म को समाप्त कर देंगे |
11. पार्टनरशिप फर्म की समाप्ति की विधि :-
अगर, किसी कारण, आप को, अपनी पार्टनरशिप फर्म को समाप्त करना पड़े तो | आप किस प्रकार उसको समाप्त करेंगे उसका वर्णन भी जरूरी है | वैसे, जानकारी के लिए बता दू की, जब किसी फर्म का विघटन यानि उसको समाप्त किया जाता है तो उसके विघटन के बारे में पार्टनरशिप एक्ट की धारा 45 के अनुसार स्थनीय राज्य के सरकारी गजट में प्रकाशित भी करवाया जाता है |
12. किसी पार्टनर के हिस्सेदारी छोड़ने या फिर उसकी मिर्तु होने की स्तिथि में :-
अगर, कोई हिस्सेदार अपनी हिस्सेदारी छोड़ना चाहता है | तो उसका वर्णन हो की, वो कैसे, इसे छोड़ कर फर्म से निर्वित हो सकता है, तथा इसके साथ, इसका भी वर्णन हो की अगर किसी हिस्सेदार की मिर्तु हो जाती है तो क्या उसका वारिस फर्म में पार्टनर बन सकता है या नही | तथा उस पार्टनर का हिस्सा उसे कैसेव किस रूप में दिया जा सकता है |
13. टैक्शेसनऔर ऑडिट :-
जनरल बिजनेस की तरह फर्म का भी ऑडिट होता है इसमें लाभ पर 30 प्रतिशत का टैक्स दिया जाता है इसमें अगर साल का टर्न ओवर अगर 60 लाख से ज्यादा उपर हो जाता है तो ऑडिट जरूरी होता है |
14. अन्य नियम :-
अगर फर्म के पार्टनर चाहे तोअपने लिए किसी भी प्रकार का नया या अलग नियम भी बना सकते है | लेकिन वो नियम कानूनन मानी हो वो ऐसी शर्त नही हो जो की क़ानूनी रूप से पर्तिबंधित हो या मानी नही हो |
जय हिन्द
द्वारा
अधिवक्ता धीरज कुमार
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DINESH SAHU
HELLO SIR,
AGAR FERBURY ME KOI PARTNERSHIP FIRM OPEN HUI HAI TO KYA MARCH KA AUDIT HOGA AGAR TURN OVER ABHI HAI HI NHI,,OR AGAR AUDIT NA KARWANA HO TO KYA KARNA HOGA..
Advocate_Dheeraj
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दर्शन सिंह
सर जी अगर फर्म से एक पाटनर पैसे गबन कर लेता है तो पाटनरशिप डीड कैन्सिल हो सकती है क्या जी
Advocate_Dheeraj
जी हां आप आप अपने पार्टनर के खिलाफ पुलिस में शिकायत दे FIR करवाये
फिर डीड कैंसल करवाने व अपने हिस्से के पैसो के लिए कोर्ट जाए
SONU KUMAR SINGH
Good evening sir
Sir mai apne gaw me talab aur keti karne wala Jamin lijiye par agar lu to kitna saal ka agriment karana hoga kya 21saal ke liye agriment ho sakta hai
Advocate_Dheeraj
99 इयर से कम का कितना भी
Ritesh kumar
Civil suit pending hai aur mutation illegal hua tha toh kya mutation cancellation ka case file kar sakte hai suit me relief for possession and declaration hai
Advocate_Dheeraj
बिलकुल आप म्यूटेशन के कैंसलेशन का केस कर सकते है
durgesh jha
Sir kisi sajhedar ke diwaliya hone ki situation mea firm ko jo labh yaa hani hoti h uski bharpai kya dusre sajhedar krte h.
Advocate_Dheeraj
फर्म अगर घाटे में नही है तो भरपाई कैसी, दोनों की लायबिलिटी बराबर है किसी एक के दिवायालिये होने की स्तिथि में वो अपना हिस्सा बेच सकता है