मध्यस्थता केंद्र mediation centre अगर कोई इसमे बातचीत रिकॉर्ड कर ले या केस खत्म होने पर इसके आर्डर को ना माने तो क्या होगा
प्रशन :- वकील साहब मध्यस्थता केंद्र mediation centre क्या होते है ये कैसे काम करते है अगर कोई पक्ष समझोता करने में किसी की रिकॉर्डिंग कर ले तो क्या उपाय है व हमे क्या छुट मिली होती है व कोई पक्ष केस खत्म होने पर इसके आदेश को नही माने तो क्या होगा |
उत्तर :- मध्यस्थता केंद्र mediation centre govt. द्वारा बनायी गई संस्था है जो की स्वतंत्रत रूप से व क़ानूनी सिस्टम के साथ मिल कर काम करती है | कई जगह पर सरकार ने इसे कोर्ट, उपभोक्ता अदालत व अन्य इसी प्रकार की संसथाओ के साथ मिल कर बनाया गया है |
मध्यस्थता केंद्र mediation centre में बातचीत के सिद्धांत :- यह की कोर्ट में आने वाले क्रिम्मिनल व सिविल केसों का निपटान मध्यस्थता केंद्र द्वारा किया जाता है| उस वक्त दोनों पक्षों के बीच सुलह के लिए जरूरी है की सच सामने आये की किस की कितनी गलती थी | पर ऐसे में दोनों ही पक्ष ये सोच कर सच नही बोलते की कही दूसरा पक्ष उनकी बात की रिकॉर्डिंग ना कर ले | पर मध्यस्थता के लिए ये स्पस्ट रूप से provision डाला गया है की अगर कोई पक्ष किसी की कोई बात की रिकॉर्डिंग कर भी लेता है और बाद में किसी भी प्रकार से मध्यस्थता ना कर उस रिकॉर्डिंग को कोर्ट में सबूत के आधार पर पेश करना चाहे तो वह रिकार्डिंग मान्य नही होगी | सरकार ने स्पेशल इसमे ये क्लौज डाला गया है क्योकि बिना सच बोले आप समझोता नही कर सकते हो | जब और एक पक्ष सच बोल दे तो उसे कानूनी सुरक्षा भी जरूरी है अगर क़ानूनी सुरक्षा नही होगी तो कोई भी सच नही बोलेगा और समझोता नही होगा| इसलिए जब आप मध्यस्ता केंद्र में समझोता कर रहे हो तो रिकोर्डिंग जैसी बातो से बिलकुल निश्चिन्त रहे|
मध्यस्थता केंद्र mediation centre में आवेदन कैसे करे :- (1) जब मामला अदालत में पेंडिंग होता है तो दोनों पक्ष में से कोई भी पक्ष चाहे तो अदालत से मामले को समझौते के लिए मीडिएशन सेंटर भेजने का आग्रह कर सकता है। अदालत दोनों पक्षों की रजामंदी से मामले को मीडिएशन सेंटर भेजता है, ताकि मामले का बातचीत के जरिये निपटारा किया जा सके। उस वक्त कोर्ट में केस की सिर्फ तारीख ही पडती है कोई भी कानून से सम्बन्धित कार्य नही होता है|
(2)अगर मामला गैर समझौतवादी हो तो हाईकोर्ट में अर्जी दाखिल कर केस मीडिएशन में रेफर करने की गुहार लगाई जा सकती है। ऐसे में हाई कोर्ट दुसरे पक्ष की सहमती के बिना भी मध्यस्थता केंद्र में केस को भेज सकती है तथा तीन तारीखों पर तो दोनों पक्षों को जाना ही होगा वो उनकी मर्जी की वे समझोता करे या नही |
(3) कई बार वैवाहिक मामले या अन्य मामलों में अगर अदालत को लगता है कि केस में दोनों पक्षों में बातचीत से निपटारे की गुंजाइश है तो मामले को खुद ही मीडिएशन में भेज सकती है ऐसे में ये दोनों पक्ष राजी हो या ना हो।
जब मीडिएशन सेंटर में समझौता हो जाता है तो सेंटर की रिपोर्ट संबंधित अदालत में पेश की जाती है और फिर अदालत में उस मामले में अंतिम फैसला होता है।
(4) अगर कोई दो पक्ष किसी विवाद को लेकर स्वय भी मध्यस्ता केंद्र जाना चाहे तो वे अपने राज्यों के द्वारा बनवाए गये केन्द्रों में जा कर मध्यस्ता यानि समझोता कर सकते है| यह समझोता भी बाकी क़ानूनी दस्तावेजों की तरह ही मान्य होगा | इस बात का अभी ज्यादा लोगो को पता भी नही है | मेरी आप लोगो को ये सलाह है की आप अपने सम्पति विवाद को भी बिना कोर्ट में जाये सीधे मध्यस्ता केंद्र जा कर सुलझा सकते है ऐसे में ये आपके कोर्ट के डाक्यूमेंट्स जैसा ही कार्य करेगा व आपको बिना पैसे व समय गवाए आप का क़ानूनी कार्य भी पूर्ण करेगा |
मध्यस्थ कौन है व इसके कार्य :- राज्य सरकार अपने केन्द्रों पर स्वय के सरकारी नोकर इस कार्य के लिए नोकरी पर रखती है और न्यायलयो में जज और वकील साहब मध्यस्त की भूमिका निभाते है| इनका कार्य निम्नलिखित है |
(1) पक्षकारों की उनके विवाद को सदभावपूर्ण निपटान करने के लिए हर प्रकार की स्वतंत्र एवं निष्पक्ष तरीके से मदद करना।
(2) मामले की परिस्थितियों और पक्षकारों की इच्छाओं को ध्यान में रखते हुए, उपयुक्त विधि से समस्या का समाधान करना व इसकी कार्रवाइयों का संचालन करना।
(3) पक्षकारो पर समझोते का दबाव न बना कर स्वतंत्र रूप से समझोता करवाना ताकि वो बाद में असफल ना हो |
(4) इस प्रकिर्या में किसी भी एक पक्ष का पक्षपात करते हुए समर्थन या प्रतिनिधित्व ना करना |
(5) मध्यस्ता के न्यायोचित सिन्धान्तो का पालन करना |
(6) मध्यस्ता में किसी भी प्रकार के साक्षी के रूप में कार्य ना करना |
(7) लोगो को मध्यस्ता केंद्र का रास्ता अपनाने के लिए जागरूक करना |
सिविल केस में समझोते के लाभ :- यह की जब हम किसी पर कोई दीवानी यानि सिविल केस डालते है तो कई केसों में हमे कोर्ट फीस देनी होती है जो की हजारो व लाखो में होती है यह फीस केस जितने पर पार्टी को वापस मिल जाती है पर केस हारने पर नही मिलती है | ऐसे में मध्यस्थता में ये नियम भी बनाया गया है की मध्यस्ता होने पर शिकायतकर्ता की फीस उसे वापस लोटा दी जाएगी क्योकि ऐसा करने से मध्यस्थता होने की ज्यादा उम्मीद होगी वरना दोनों पक्ष समझोता तो कर लेंगे पर इस कोर्ट फीस के मामले को ले कर बैठे रहेंगे की इसे कौन भरेगा | तो आप लोग अगर सिविल केस में समझोता करते हो तो कोर्ट फीस की परेशानी ना ले वो आपको वापस मिल जाएगी |
केस खत्म होने पर मध्यस्थता केंद्र mediation centre का आदेश नही मानना :- अगर कोई दो पक्षों के बीच मध्यस्थता केंद्र में समझोता हो जाता है तो ऐसे में कोई ऐसी शर्त भी रखी जाती है जो उनको आजीवन या केस खत्म होने के बाद भी माननी है| और एक पक्ष इस शर्त को केस खत्म होने के बाद मानने से इंकार कर दे| तो दूसरा पक्ष सीधे हाई कोर्ट में जा कर शिकायत कर सकता है तथा हाई कोर्ट के केस में सुप्रीम कोर्ट व सुप्रीम कोर्ट के केस में वही पर | ऐसे हालात में सामने वाली पार्टी पर कोर्ट की अवमानना का केस भी चलेगा उसे हर हाल में उस मध्यस्थता केंद्र में हुए फेसले को मानना ही पड़ेगा | ऐसे में सामने वाली पार्टी को अपना पक्ष रखने का सिर्फ एक मौका ही दिया जाता है | वरना उसकी कोई सुनवाई नही है|
मध्यस्थता केंद्र कहा पर स्तिथ होते है :- मध्यस्थता केंद्र mediation centre सामान्यत कोर्ट में स्तिथ होते है लेकिन राज्य सरकार ने अपने स्वय के मध्यस्ता केंद्र भी बनाये हुए है जो की आपको उपभोक्ता अदालत या उनकी सरकारी इमारतो में मिलेंगे |
फीस :- मध्यस्ता केंद्र में किसी भी पक्ष से किसी भी प्रकार की फीस नही ली जाती है है ये राज्य व केंद्र द्वारा बिलकुल फ्री सेवा है |
मध्यस्ता केंद्र के लाभ :- (1) जैसे की सब जानते है की हमारे देश में क़ानूनी प्रकिर्या कितनी लंबी व खर्चीली है मध्यस्ता से इन दोनों की बचत होती है |
(2) इसकी प्रकिर्या काफी सरल व बिना पैसो की है |
(3) इसमे किसी भी प्रकार की फीस नही देनी होती है |
(4) मध्यस्ता केंद्र का निर्णय अंतिम होता है इसे हर हाल में मानना ही होता है |
अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र mediation centre :- अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी मध्यस्ता केंद्र होते है जो की देशो की समस्या का निपटान करते है जैसे की U.N.O. united nation organization ये संस्था कुछ देशो के समूहो के द्वारा चलाई जाती है जो की देशो की व्यापारिक, यातायानिक व एनी सभी प्रकार की समस्याओ का समाधान करती है ताकि युद्ध की स्तिथि पैदा नही हो और सभी देश समन्वय से रहे |
जय हिन्द
द्वारा
अधिवक्ता धीरज कुमार
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Poonam
DV case me sasural me stay kaise le sakte h.mere sasural me sab jhooth hi bolte h.case jeetne k liye kisi bhi hadd tak ja sakte h mere sasuraal wale.mediation centre me husbnd ne maintenance na Dene k liye apni salary Kam batai h.jabki mere husbnd ki salary 40,000 h.or khud Ko meri vajah se maintally desturb bataya or kaha ki main ab is rishte me or nahi reh sakta.main jab sasuraal me rehne gayi to inlogo ne ghar me tala Laga diya or mere wa mere parents k saath bahut gali galoj kiye,maine sabhi recordings kar li thi.meri SaaS Ko jab pata Laga to mere pati or mere husbnd mera chhinane ki koshish karne Lage but le nahi paaye.mediator mere husbnd k muh or hi keh deta h k tum nahi rakhna chahoge to main jabardasti nahi rakhwa sakta.main kya karu sir ,main Apne husbnd k saath Rehna chahti hu.please help me.
Advocate_Dheeraj
Poonam जी,
कोर्ट में 91 CRPC में आवेदन करके आप अपने पति की सेलरी स्लिप/अकाउंट डिटेल/ ITR मंगवा सकते है |
झूठ से जितने के लिए झूठ ही काम आएगा |
( हो सके तो एक बार में ही पोस्ट लिखे )
Poonma
Sir,mere paas husbnd k phone se liye Gaye screenshot h ,jisse ye pata cahlta h k mere husbnd k dusri aurton knsaath nazayaz sambandh h.kya ye screenshots maanya honge court me proof k taur pr.
Advocate_Dheeraj
Poonma जी,
कुछ हद तक
Raju Kumar Gupta
Mere khilafe dhara 363.366 laga huwa hai aur mahila ne 164 ke bayan me boli ki ham appne marzi se mere pass gai thi /usske baad mai usske pariwaar wale usske uper dabaw dalker mere upper 376 ka charz sheet me aad karwa diya aur uss mahila ko unlogo ne sab milker usse jaan se maar diya/ iss casse me ham appradhi sabit honge ya/ nirdoss
Advocate_Dheeraj
Raju Kumar Gupta जी,
लड़की के 164 के स्टेटमेंट के अनुसार तो आप निर्दोष ही साबित होंगे |
मेडिकल में देख लीजियेगा की कुछ आपके खिलाफ नही हो |
आप मना ही करना की ऐसा कुछ नही हुआ था | अगर कोई सबूत नही है तो |
रामेश्वर
मेरे पिताजी के नाम का एक भूखंड है जिसका नगर पालिका द्वारा हम वारिसान पर नामांतरण हो चुका है तथा उस भूखंड पर हमारे पड़ोसी ने कब्जा कर रखा है और कहता है कि हमने तुम्हारे पापा से यह भूखंड खरीद लिया था जिसकी उसके पास कोई लिखावट या दस्तावेज नहीं है वह पट्टा दिखा रहा है वह भी मेरे पिताजी के नाम का है कृपया बताएं उसका कब्जा कैसे हटाए
Advocate_Dheeraj
रामेश्वर जी,
कोर्ट में केस करके इस पर स्टे ले और कब्ज़ा भी ले
दीपक त्यागी
हेलो वकील साहब मेरी पत्नी ने मेरे ऊपर सेक्शन 125 डीवी एक्ट 498 ए के केस किए हुए थे जिनमें हमारा आपसी समझौता मध्यस्थता केंद्र कड़कड़डूमा कोर्ट में हो चुका था समझौते में लड़की के हस्ताक्षर उसके वकील के हस्ताक्षर और मेरे हस्ताक्षर भी हुए थे और इमिटेटर के हस्ताक्षर भी थे लेकिन लड़की ने एक महीने बाद जैसा कि मीडिशन समझौते में लिखा हुआ था कि वह एक सेक्शन 125 का केस खत्म करने पर ₹20000 लेगी लेकिन उसने जज साहब के सामने मीडिशन के फैसले को मानने से इनकार कर दिया और कहा कि मुझसे जबरदस्ती साइन करवाया मैं नहीं मानती मेडिसिन के फैसले को मुझे तो सेक्शन 125 में अपना बकाया खर्चा चाहिए लेकिन हमने कोर्ट को बताया कि हमारा समझौता हो चुका है लेकिन कोर्ट ने मानने से इनकार कर दिया हमसे कहा गया कि लड़की नहीं मान रही समझौते को आप खर्चा दीजिए और मेंटेनेंस ना देने पर मेरे वारंट भी निकाल दिए क्या मैं अपने मध्यस्था केंद्र में हुए फैसले को खत्म समझू या कोई और उपाय है। मुझे बताएं मैं क्या करूं।
Advocate_Dheeraj
दीपक त्यागी जी,
अगर समझोते की एक शर्त भी आपके द्वारा या उसके द्वारा पूरी की गई है तो आप इसे हाई कोर्ट में challenge कर सकते है
वरना इसे खत्म ही समझे |
ज्यादा जानकारी के लिए काल करे 9278134222
Poonam
Mere husband mediation ki dono tariko par pesh ni hue .. Jbki unke vakil ne hi li thi court .. To unke na ane ka muje koi benifit hoga
Advocate_Dheeraj
Poonam जी,
नही होगा,
Poonam
Mene dv act ke tahat case kiya hua hai
Jisme mere husbnd ke vakil ne mediation ke liye bola tha court ko .. Par mediation ki tarik pr mere husband ni aye or mediation ki next tarik de di gyi h. Agar wo next tarik par bhi ni aate to kya hoga
Advocate_Dheeraj
मध्यस्था खत्म मानी जाएगी