प्रॉपर्टी ट्रान्सफर कितने प्रकार से कर सकते है ? इसका क्या प्रोसेस है और उसके क्या फायदे व नुकशान है ?
जीवन में सबसे अहम् काम सम्पति का हस्तांतरण (प्रॉपर्टी ट्रान्सफर ) करना होता है | समय पर या सही नही तरीके से प्रॉपर्टी ट्रान्सफर नही करने की वजह से ही सबसे ज्यादा लड़ाई झगड़े होते है | प्रॉपर्टी ट्रान्सफर के पांच तरीके है जो की सेल डीड या बिक्रीनामा, गिफ्ट डीड, रिलुन्कुश डीड, त्यागनामा और विल होती है | इन पांचो विकल्पों में से आप किसी को यूंही नहीं चुन सकते, क्योंकि इनमें से हर एक का अपना अलग रोल है। जो समय और जरूरत के हिसाब से इस्तेमाल किया जाता है |
इम्पोर्टेन्ट हेडलाइंस :-
. सेल डीड या बिक्रीनामा, गिफ्ट डीड, रिलुन्कुश डीड/ त्यागनामा, मल्कियत और विल
. इन डीड को करने के नियम, शर्ते और सावधानिया
. इनके लाभ और हानि
. स्टाम्प डयूटी
सेल डीड या बिक्रीनामा
सेल डीड में प्रॉपर्टी ट्रान्सफर का अग्रीमेंट होता है। इसमें वह सभी नियम व शर्तें लिखी होती हैं, जिनके तहत प्रॉपर्टी ट्रान्सफर की जाती है। ट्रांसफर ओफ प्रॉपर्टी एक्ट, 1882, जिसमें संपत्ति की बिक्री और खरीद से जुड़े मामलों की परिभाषा लिखी है, के मुताबिक अचल संपत्ति की बिक्री के लिए दो पक्षों के बीच तय हुई शर्तों का एक कॉन्ट्रैक्ट होता है। जिसके द्वारा बिक्री समझौते में तय हुई शर्तों पर भविष्य में प्रॉपर्टी ट्रांसफर करने का वचन होता है।
एग्रीमेंट करने के नियम व सावधानिया :-
प्रॉपर्टी खरीदते समय कई तरह की औपचारिकताओं की पूर्ति करनी होती है। जिनमें एग्रीमेंट सबसे महत्वूपर्ण चरण है। एग्रीमेंट लिखित तौर पर एक दस्तावेज होता है, जिसमें लिखित तौर पर दाम और शर्तो के बारे में लिखा होता है | दोनों पक्षों के अलावा दो गवाह हो | सभी के पास आधार कार्ड हो |
ऐसे में यह जरूरी हो जाता है कि प्रॉपर्टी ट्रान्सफर के एग्रीमेंट में कुछ बातों को ध्यान में रखा जाए। जैसे की आप कितनी प्रॉपर्टी बेच रहे है वो कहा पर स्तिथ है तथा उसकी दिशा कोन सी है या प्रॉपर्टी का कौन सा भाग आप बेच रहे है, दोनों पक्ष सहमत है या नहीं तथा उसकी कितनी कीमती है, वो कीमत सरकार द्वारा तय किये गये सर्किल रेट से कम तो नहीं है | सम्पति की कीमत कैसे चुकाई गई है और जो मोल-भाव मौखिक तौर पर हुआ है, उसका जिक्र एग्रीमेंट में किया गया हो इत्यादि |
स्टांप ड्यूटी :-
प्रत्येक राज्य के अनुसार स्टांप ड्यूटी अलग-अलग होती है। कुछ मामलों में जहां यह जमीन की कीमतों के आधार पर लगाई जाती है, अगर वो सम्पति बनी हुई है तो उसकी बनाई की कीमत भी लिखी जाती है तथा उसके अनुसार भी स्टाम्प डयूटी दी जाती है | जैसे दिल्ली में महिला के लिए 4% (सम्पूर्ण प्रॉपर्टी की कीमत का प्रतिशत) +1% (ये 4% की कीमत का प्रतिशत) और पुरुष के लिए 6% (सम्पूर्ण प्रॉपर्टी की कीमत का प्रतिशत) +1% (ये 4% की कीमत का प्रतिशत) है |
लाभ और हानि :-
इसका सबसे बड़ा लाभ ये है की आप अपनी सम्पति को सरकार को ट्रान्सफर टैक्स चूका के बेचते हो प्रॉपर्टी बेचने के पैसे आपके क़ानूनी रूप से इस्तेमाल कर सकते है |
हानि ये है की आप को इसको खरीदने के लिए ट्रान्सफर फीस देनी होती है जो की बहुत ज्यादा होती है दिल्ली में तो 4 से 6 % है | इसके अलावा, अगर आपकी प्रॉपर्टी की कीमत खरीदने के समय से बेचने के समय के बिच सरकार के तय किये गये स्लोप से ज्यादा हो जाती है, तो आप को उस सम्पति से बेचने के प्रॉफिट में से 10 से 30% तक का टैक्स सरकार को देना होता है |
दान / गिफ्ट डीड क्या है
भारतीय संपत्ति हस्तातरण अधिनियम की धारा 122 के अंतर्गत दान/गिफ्ट डीड की परिभाषा दी गई है | कोई भी कोई भी व्यक्ति अपनी वर्तमान चल या अचल सम्पति को अपनी इच्छा द्वारा किसी दुसरे व्यक्ति को देता है तो वो गिफ्ट या दान कहलाता है | ऐसा सिर्फ वो व्यक्ति दुसरे के प्रति प्यार, आदर, तथा दया से प्रेरित होकर करता है | गिफ्ट करने वाला व्यक्ति इसके बदले में सामने वाले व्यक्ति से कुछ ले नही सकता है , वरना गिफ्ट का अर्थ समाप्त हो जाता है |
गिफ्ट डीड करने के नियम व सावधानिया :-
अग्रीमेंट में साफ तौर पर ये लिखा जाता है की गिफ्ट कर्ता अपनी मर्जी से दुसरे को अपनी चल अचल सम्पति गिफ्ट कर रहा है | जो की बिना किसी प्रतिफल के है | (प्रतिफल मतलब गिफ्ट कर्ता ने बदले में गिफ्ट करने वाले से कुछ नहीं लिया है) |
गिफ्ट डीड भी सेल डीड की तरह लिखित और रजिस्टर्ड हो, उसमे भी दो गवाह हो | प्रोपर्टी का बोयर साफ तौर पर दिया हो |
स्टाम्प ड्यूटी :-
जितनी स्टाम्प ड्यूटी आप अपने बिक्रिनामे या सेल डीड में देते उतनी ही स्टाम्प डयूटी आपको इसमें देनी होती है |
लाभ और हानि :- इसमें फायदा ये है की सम्पति /गिफ्ट लेने वाले को गिफ्ट गिफ्ट करने वाले को कुछ नहीं देना होता है ऐसे में आप इनकम टैक्स डिपार्टमेंट को जवाब देने से बच जाते है वरना सेल डीड के बाद इनकम टैक्स डिपार्टमेंट नोटिस देकर सवाल -जवाब करता है |
इसमें नुकसान ये है की गिफ्ट करने वाला चाहे तो अपने जीते जी आपसे कोर्ट में केस करके अपनी सम्पति वापस ले सकता है |
रिलुन्कुश डीड या त्याग नामा
चल या अचल सम्पति का मालिक अपनी इच्छा से अपनी सम्पति के हिस्से का त्याग करके उसे दुसरे हिस्सेदार को दे सकता है | जैसे किसी सम्पति में कई भाई मालिक है और वो उन सभी के नाम है तो ऐसे में कोई भी भाई अपना हिस्सा किसी एक विशेष भाई या फिर सभी भाइयो को बराबर दे सकता है |
रिलुन्कुश डीड या त्याग नामा करने के नियम व सावधानिया:-
ये डीड भी लिखित और रजिस्टर्ड होनी चाहिए और बिना किसी प्रतिफल के होनी चाहिए | हिन्दू प्रॉपर्टी एक्ट के अनुसार आप अपने किसी निजी रिश्तेदार या ब्लड रिलेशन में ही अपना हक़ छोड़ सकते है |
वो व्यक्ति उस सम्पति में हिस्सेदार होना चाहिए | इसमें आपको अपना पूरा हिस्सा ही छोड़ना होता है आप अपने हिस्से के आधे या किसी एक भाग को नहीं छोड़ सकते है |
स्टाम्प ड्यूटी :–
इसमें आपको अपने राज्य के अनुसार नाममात्र की फीस देनी होती है जैसे की दिल्ली में 4 हजार के करीब फीस जाती है और राज्यों में कम या ज्यादा हो सकती है |
लाभ और हानि :- इस डीड में लाभ ये है की आप नाममात्र की फीस पे करके अपने नाम सम्पति करवा सकते है | आपकी सरकार को प्रॉपर्टी ट्रान्सफर पर देने वाली स्टाम्प ड्यूटी बच जाती है |
हानि ये है की प्रॉपर्टी ट्रान्सफर करने वाला चाहे तो कोर्ट में केस करके इस डीड को कैंसिल करवा कर अपनी सम्पति वापस ले सकता है | और अगर आप अपनी सम्पति का कुछ हिस्सा नहीं दे सकते, आपको अपना पूरा हिस्सा ही देना होता है |
मल्कियत
मल्कियत भी एक प्रकार की रिलुन्कुश डीड या त्याग नामा ही होता है, जो की पारिवारिक सैटलमेंट डीड की तरह ही काम करती है | लेकिन हम इसमें छोटे तौर पर ही प्रॉपर्टी ट्रान्सफर कर सकते है |
इसकी परिभाषा की बात करे तो अगर आपने किसी से कोई पैसा उधार लिया है और आप उसे नहीं चुका पा रहे है | तो आप अपनी मर्जी से अपनी सम्पति का कुछ हिस्सा सामने वाले को जिससे आपने पैसा लिया है, दे देते है | सामने वाली पार्टी भी आपके परिवार या रिश्तेदारी का हिस्सा होनी चाहिए | ऐसा जब होता है जब सरकार सम्पति का बटवारा करती है |
लेकिन ये काम जब होता है जब पटवारी या तहसीलदार 10 साल के अन्तराल पर अपना रजिस्टर्ड बदले और उस समय जमीं के खसरे नंबर भी बदले जा रहे हो तब या फिर सरकार द्वारा जमीं की चकबंदी हो रही हो या फिर सरकार जमींन का अधिकरण कर रही हो | सिर्फ इन्ही स्तिथियों में ये सम्भव है |
मल्कियत करने के नियम व सावधानिया
इसके लिए भी लिखित और रजिस्टर्ड दस्तावेज व दो गवाहों के साथ होना चाहिए, मल्कियत क्यों कर रहे है, कितनी जमीन की कर रहे है, इसके क्या कारण है, कब पैसा उधार लिया था, उसका विवरण दिया होना चाहिए | हम अपनी प्रॉपर्टी की मल्कियत अपने परिवार के अलावा किसी दुसरे व्यक्ति को भी कर सकते है |
मल्कियत सम्पति देने वाले की मर्जी से ही होती है | इसे करने या नहीं करने की पॉवर तहसीलदार के पास होती है |
स्टाम्प ड्यूटी :-
इसमें तो नाम मात्र की फीस जाती है जोकि कुछ रुपये ही होती है |
लाभ और हानि :- इसमें लाभ ये है की बिना किसी लें दें व स्टाम्प ड्यूटी के आप प्रॉपर्टी ट्रान्सफर करवा लेते है \ जमीन का पारिवारिक बटवारा आसानी से हो जाता है |
हानि ये है की लालची व आमिर लोग गरीब लोगो की सम्पति को पटवारी व तहसीलदार को पैसे देकर अपनी नाम उतरवा लेते है | पहले के समय में ऐसा बहुत होता था | लेकिन अब ऐसे केस देखने को नहीं मिलते है | शायद दूर व गरीब कस्बो में हो भी | लेकिन इस चीज की जानकारी भी कम ही लोगो को है |
विल,वसीयत या इच्छा पत्र
भारतीय उत्तराधिकारी अधिनियम Indian succession act 1952 की धारा 2 (h) के अनुसार will/ वसीयत /इच्छापत्र का अर्थ है “किसी व्यक्ति द्वारा अपनी जो संपत्ति के संबंध में वह इच्छा करता है कि यह उसकी मृत्यु के पश्चात् कार्यव्न्तिक की जाए” संछेप में मतलब होता है की जब कोई भी व्यक्ति अपनी इच्छा से अपनी चल या अचल संपत्ति का अधिकार किसी दूसरे व्यक्ति को सौंपता है उसे will कहते है | इसमे will करने वाला व्यक्ति अनुदानकर्ता (testator) कहलाता है | तथा जिसे will के द्वारा सम्पति दी जाती है उसे लाभग्र्हित (Beneficiary) कहते है | तथा will करने वाला व्यक्ति यानी अनुदानकर्ता अगर अपनी सम्पति के लिए कोई संरक्षणकर्ता नियक्त करता है तो उसे निष्पादककर्ता (Executor) कहलाता है |
वसीयत दो प्रकार की होती हैं (1) विशेषाधिकार इच्छा पत्र (Privileged will) (2) विशेष अधिकार रहित इच्छा पत्र (Un-Privileged will)
वसीयत लिखने की शर्ते :-
विल लिखने के लिए कुछ क़ानूनी बातो का पालन करना होता है जो की भारतीय उत्तराधिकारी अधिनियम Indian succession act 1952 में लिखित है उन नियमो के बारे यहा निम्नलिखित है :-
- will करने वाला व्यक्ति 18 वर्ष की आयु का होना चाहिये|
- will लिखित में होनी चाहिये| इसकी दो कॉपी हो एक रजिस्ट्रार के पास रहती है दूसरी आपको मिलती है
- विल में लिखी सम्पति आपको किसी से मिली हो या आपने खरीदी हुई होनी चाहिये
- will के उपर विल करने वाले व दो साक्षियों के हस्ताक्षर होने चाहिए|
स्टाम्प ड्यूटी :-
इसमें भी नाम मात्र की फीस लगती है जो की दिल्ली में 3 हजार के करीब है | बाकी और राज्यों में तो और भी कम होगी |
लाभ और हानि :- इसका सबसे बड़ा लाभ ये है आपके बाद आपकी सम्पति सही हाथो में चली जाती है | बाद में कोई झगड़ा नही होता है |
इसे करने में कोई हानि नही है | ये सभी को करनी चाहिए |
नोट :- कभी भी प्रॉपर्टी ट्रान्सफर का काम नोटरी से नही कराये, ये कच्चा काम होता है | इसके लिए रजिस्ट्रार ऑफिस में स्टाम्प ड्यूटी पे करके ही काम करवाये |
जय हिन्द
AUTHOR
ADVOCATE DHEERAJ KUMAR
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Prachi
Hello sir mujhhe yeh Janna h ki agar mai apna jameen bechna chahti hun.to mere pas kya kya document hone chahiye
Advocate_Dheeraj
Prachi जी,
जमीन के पेपर के साथ सिर्फ आधार कार्ड और पेन कार्ड
Manisha
Mere dada ecpure huye h bina nam kre do bhai hai pls btaye ki kaise transfer karwaye
Advocate_Dheeraj
Manisha जी,
डिटेल में लिखे या फिर कॉल करके सलाह ले
kuldeep
agar hum apni jameen sale kr rhe hai toh koi objection kr sakta hai ya nahi jaise main kissi Muslim ko jameen sale krunga paas me jo hindu log hai wo keya court me objection kr sakte hai
Advocate_Dheeraj
kuldeep ji,
इस आधार पर तो ऑब्जेक्शन नही मिलेगा
kuldeep raj
jameen sale krni ho toh paise kab lene chahiye kissi k naam krwakar ya pehke
Advocate_Dheeraj
kuldeep raj जी,
ये तो आपके बिच हुए समझोते को जानकर ही बता सकता हु आप कॉल करके सलाह ले | डिटेल वेबसाइट पर दी गई है
Bharat
Sir mujhe apne pustani property ko apne aur maa bhai ke name transfer karane hai aur batbara bhi karna hai property 65 gaza ki pita ji ke name hai aur 200 gaz meri saroget mother ki name hai aur dono logo ki mratu hogai hai ab ham 3 brother and hamari maa. Hai
Advocate_Dheeraj
Bharat जी,
आप family statement deed बनाये और सारी प्रॉपर्टी बाट ले
अलोक विश्वकर्मा
सर मेरा नाम आलोक विश्वकर्मा है बचपन में ही माता जी का देहांत हो गया था उसके पश्चात पिताजी दूसरी कर लिऐ फिर शौतेली माता के बुरे बर्ताव से हमे अपने नाना के घर रहना पड गया फिर कुछ महीने बाद पिता जी हमारे पूर्वजों का खेत अपने दोस्त को देकर अकोला शहर चले गए कुछ सालो बाद जो पूर्वजों का बनाया हुआ घर था वह भी वो अपने बड़े भाई के हाथों बेच दिए यानी मेरे अंकल से सर पिताजी हमसे बात भी नहीं करते और अब हमारा नाम भी कटवा दिया है उत्तराधिकार से हमारे पास रहने को घर नहीं है जो पापा के दोस्त हैं वो खेत दे नहीं रहा है और पापा यहां गांव आते भी नहीं
Advocate_Dheeraj
अलोक विश्वकर्मा जी,
खेत के लिए प्रॉपर्टी पार्टीशन का केस करे | सम्पति में हक आपको जरुर मिलेगा |
Anam
Sir…pattrik property (heritage) h sir mere nana me ek pht phele naksha banwaya Jo bht purana h ghr ka..but wo pass ni h or mere mummy k rishtedar uspr kabza krne liye fale naksha bnawaye h abhi jb hmne court me case krna chats h to esme kya kr skte h..blki unke pitaji apni property bech chuke h…plzz sir rply..apne nana k bnwaye nakshe ko pass kra skte hai…wo log bht paise dkr ye sb kaam kr rhe h…
Advocate_Dheeraj
Anam जी,
पहले पुलिस में शिकायत करे फिर कोर्ट में केस करके अपनी जमीन पर स्टे ले |
Rohit
Sir mera accident hua tha jisme dusri party ki death ho gayi thi par koi eye witness nahi hai MACT me usko Paise mil gaye to kya dusre case me mujhe saja ho sakti hai, mere pass valid license and Insurance tha.
Advocate_Dheeraj
Rohit जी,
ऐसे केसों में मेडिकल रिपोर्ट और व्हीकल की टेक्निकल रिपोर्ट देखि जाती है | की चोट कैसे कितनी लगी
आप ही कोई विटनेस पेश कर के केस जीत ले | ज्यादा जानकारी के लिए कॉल 9278134222 करके सलाह ले फीस 1000
Rajiv Kumar
Sir kiya ek hi date main do fir ho sakte hai
1 156/3. Time 3:15 pm
2 Harijan act time 5:15
Date 7/5/2019
Advocate_Dheeraj
Rajiv Kumar जी,
दो क्या 4 भी हो सकती है
अगर हालत अलग अलग है और आरोप एक दुसरे से भिन्न है तो