पत्नी वापस घर नही आये तो पति क्या करे ?
धारा 9 हिन्दू विवाह अधिनियम में कब केस करना चाहिए और क्यों केस करने से बचना चाहिए ?
हाइलाइट्स :-
· धारा 9 हिन्दू विवाह अधिनियम Restitution Of Conjugal Rights–Section 9 Hindu Marriage Act. क्या है ?
· धारा 9 हिन्दू विवाह अधिनियम में केस करने के क्या नुकशान है ?
· धारा 9 हिन्दू विवाह अधिनियम में केस करने के क्या फायदे है ?इसका प्रयोग कहा करे ?
· समाधान
धारा 9 हिन्दू विवाह अधिनियम क्या है ?
इस धारा 9 हिन्दू विवाह अधिनियम को हिंदी में कहते हैं दांपत्य अधिकारों का प्रतिस्थापन या “ दांपत्य जीवन में पुनर्सुधार “ भी कहते है | जब पति पत्नी के मध्य संबधों में दरार पड़ने लगे तो पत्नी या पति में से कोई भी दुसरे को छोड़कर अलग रहने लगे तो दूसरा साथी कोर्ट में जाकर उसे अपने साथ रहने के लिए कोर्ट से आदेश ले सकता है और कोर्ट अगर ये आदेश दे और वो साथी नही माने तो, दुसरे साथी को तलाक का एक आधार भी मिल जाता है | जैसे की किसी पति ने अपनी पत्नी को लाने के लिए कोर्ट में आवेदन किया है और कोर्ट उसके पक्ष मे आदेश देता है उसकी पत्नी उसके साथ रहेगी, लेकिन वो पत्नी अगर कोर्ट के आदेश होने के बवजूद भी अपने पति के साथ जाने से मना कर दे और अगले 1 वर्ष में अपने पति के साथ जाकर नही रहे तो पति को अपनी पति से तलाक लेने का आधार मिल जाता है |
इस धारा 9 हिन्दू विवाह अधिनियम में इस प्रावधान का उद्देश्य मुख्य रूप से टूटती हुई शादी को बचाने के लिए रहता है। यह अधिकार विशुद्ध रूप से पति और पत्नी दोनों के बीच रहताहै । मतलब ये की पत्नी भी अपने पति पर इस धारा में केस कर सकती है |
वैसे किसी भी पति को अपनी पत्नी से तलाक लेने के 13 अधिकार मिले है जिनमे से ये भी एक अधिकार है |
धारा 9 हिन्दू विवाह अधिनियम में केस करने के क्या नुकशान है ?
1. ज्यादातर व्यक्ति ये ही सोचकर केस करते है | की वे एक आधार पर केस जीतकर अपनी पत्नी से तलाक ले सकते है और दुसरा इसलिए केस करते है की वे इसके द्वारा कोर्ट में ये साबित कर पाते है की वे तो अपना घर बसाना चाहते है लेकिन उनकी पत्नी नही | वेसे ये चीज कामयाब है जब आपके पास अपनी पत्नी से केस जितने का कोई ठोस सबूत नही हो, करना मेरी नजर में तो ये सिर्फ पैसे और समय बरबाद करने का ये जरिया ही है | में स्वय एस धारा में केस करने से बचता हु | हां अगर कोई और रास्ता नही हो तो में इसे इस्तेमाल करता हु वरना इसका प्रयोग नही करता हु |
2. अगर आप पहले केस करते है तो आपने जीवन साथी को पहले ही आपके सरे फैक्ट्स जान पड़ जाते है | देश में रोज सेकड़ो दहेज के केस होते है जिनमे से 90 % केस आपस में समझोते से खत्म होते है, और बाकी 10 % में से 5 % केस पति लोग हार जाते है | मतलब 5 % केसों में ही पत्नी सजा करवा पाती है ऐसा क्यों क्योकि पत्निया अपने केस के सरे फैक्ट्स पहले लिखती है और पतियों को उनके जवाब तलास करने होते है | लेकिन अगर पतियों ने पहले केस किया और अपने फ्क्ट्स पहले रखे तो वे केस जरुर हार जायेंगे | तो मतलब ये है की पहले केस करना अपने केस के सरे फैक्ट्स अपने जीवन साथी को बताना है जिससे वो ज्यादा मजबूती से अपने केस के बाकी फैक्ट्स तयार करके केस लडती है और जीतती है |
3. व्यक्ति, धारा 9 हिन्दू विवाह अधिनियम का केस करके कम से कम 3 से 5 साल तक कोर्ट में लगा देते है अगर आपको तलाक लेना है तो आपको इतना समय और तलाक लेने में लगता है और आप तलाक का केस और ये केस दोनों एक साथ चला नही सकते है | ऐसे में आपको तलाक लेने 10 साल तक लग जाते है ये एक बहुत ही लंबा समय होता है ऐसे में आपकी उम्र ही चली जाती है तो तलाक मिलने का फायदा क्या है |
4. दूसरा दोनों केसों में आपके पैसे भी खराब होते है |
5. अगर केस में आपकी पत्नी आपको घर चलने को कहे तो आपको कोर्ट के सामने बहाना बनाना पड़ता है ऐसे अगर जज साहब को आपकी बात और बहाने समझ आ आया गये तो वे आपके खिलाफ भी आदेश दे सकते है | तो आपका पाशा उल्टा भी पड़ सकता है |
तो सवाल ये उठता है की ऐसे में क्या करे ? क्या है समाधान ?
ऐसे में आप अपनी पत्नी को लीगल नोटिस भेजे | लीगल नोटिस में इन चीजो का ध्यान रखे |
1. लीगल नोटिस रिसीव होना चाहिए :- सबसे पहले आपको अपनी पत्नी का पता सही लिखना है जिससे की उसके पास वो नोटिस पहुच सके | और इसकी पावती आपको पाने पास लेकर रखनी है |
2. क़ानूनी अधिकार की बात :- दूसरा आपको अपनी पत्नी को लीगल नोटिस में सिर्फ ये लिखना है की आप और में पति-पत्नी है हमारी शादी इस तारीख को हुई थी और तुम इस दिन अपनी मर्जी से घर छोड़कर गई थी | में पिछली बाते नही दोहराना चाहता हु जिससे की झगड़ा बड़े | धारा 9 हिन्दू विवाह अधिनियम के अनुसार ये मेरा अधिकार है की तुम मेरे साथ दम्पती जीवन में रहो तो तुम वापस आ जाओ |
3. ज्यादा फैक्ट्स नही लिखने है :- ऐसे में आपको किसी भी प्रकार के झगड़े का जिक्र नही करना है जिससे की उसको हमारे फैक्ट्स और डिफेन्स का पता नही चल पाता है
4. धारा 9 हिन्दू विवाह अधिनियम के के बराबर :- ये लीगल नोटिस भी धारा 9 हिन्दू विवाह अधिनियम के केस की कमी को पूरा कर देता है | आप कोर्ट में कह सकते है की मैंने तो अपने पत्नी को बुलाने की कोशिश की थी लेकिन ये ही नही आई है | उसका सबूत ये नोटिस है |
5. केस जितने के चांस बड जाते है :- अगर पत्नी इस नोटिस का जवाब दे देती है तो वो अपने सारे फैक्ट्स बता देती है जिससे की आप उन सब फैक्ट्स को अपने डिफेन्स के अनुसार पूरा कर देते है | जिससे की आपके केस जितने के चांस ज्यादा हो जाते है | अगर पत्नी अपना जवाब नही भेजे तो उसे एक रिमाइंडर भी भेज दे, क्या पता वो इस कारण ही जवाब दे दे |
6. पैसो की बचत :- धारा 9 के केस के मुकाबले आपके पैसे भी कम लगते है जिससे की आपके पैसो की बचत होती है
7. समय की बचत :- आपका समय भी बचता है अगर आपको अपनी पत्नी से तलाक लेना ही है तो आप आसानी से सीधे तलाक का केस डाल सकते है |
इसलिए मेरे हिसाब से आप धारा 9 हिन्दू विवाह अधिनियम के केस से बचे और नोटिस का सहारा ले तो ज्यादा अच्छा है |
धारा 9 हिन्दू विवाह अधिनियम में केस करने के क्या फायदे है ?इसका प्रयोग कहा करे ?
लेकिन ऐसा नही है की इस धारा का कोई फायदा नही है, ये धारा बिलकुल बेकार है इस धारा का फायदा भी बहुत है जैसे की :-
1. कोर्ट में ये दिखाने के लिए की आप विरोधी पार्टी से प्यार करते है :- अगर आपको अपनी पत्नी या पति को तलाक नही देना हो तो आपको इस धारा 9 हिन्दू विवाह अधिनियम में केस करना चाहिए और विरोधी पार्टी को आप प्यार करने है ये दिखना भी चाहिए |
2. जब तलाक नही देना हो तब :- अगर सामने वाली पार्टी ने आप पर तलाक केस किया है तो और आप तलाक नही लेना चाहते है तब आपको इस धारा 9 हिन्दू विवाह अधिनियम में केस करना चाहिए ताकि कोर्ट को लगे की आप तलाक नही लेना चाहते है और घर बसाना चाहते है |
3. अगर केस कमजोर हो तब :- अगर आपका केस कमजोर है और आप विरोधी पार्टी से हार सकते है तो ऐसे में भी ये केस करना चाहिए | की बार इन केसों को करने से कोर्ट का भी मन बदल जाता है और बाकी केसों में भी आपके फेवर में जजमेंट आ जाती है |
जय हिन्द
written by
Advocate Dheeraj Kumar
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अनीता
सर नमस्ते,
सर मेरी शादी 2018 में हुई थी, मेरे पति सरकारी अध्यापक हैं, शादी से पहले लड़के वालों ने 11 लाख रुपए नकद दहेज की डिमांड की थी जिसे मेरे घरवालों ने आधी राशि online और आधी राशि हार्ड कैश के रूप में दिया है, लेकिन शादी के बाद मेरे पति का बर्ताव मेरे और मेरे घरवालों के प्रति बेहद खराब रहा है अभी भी मेरे पति मेरी सास और मेरे जेठ जेठानी दहेज को लेकर ताना मारा करती हैं और मेरे पति मेरे घरवालों को और मुझे दहेज को लेकर गालियां देते हैं, महोदय जब शादी की बात चल रही थी उस समय मैं B.ed प्रथम वर्ष की छात्रा थी और शादी से पहले ये बात हो चुकी थी कि मै शादी के बाद अपना B.ed सेकंड ईयर पूरा करूंगी लेकिन शादी करने के बाद मेरे पति ने मुझे आगे पढ़ाने से मना कर दिया, महोदय मेरी शादी को लगभग दो वर्ष हो चुके हैं लेकिन मेरे पति ने अपने सरकारी नौकरी के दस्तावेजों में मेरा नाम दाखिल नहीं कराया है और ना ही मुझे अभी तक नॉमिनी बनाया है, महोदय मेरी शादी में जो मेडिएटर थे वो मेरे पति के जीजा जी हैं उनका नेता लोगों से जान पहचान है तो अब मेरे पापा अगर उनसे कुछ कहते हैं तो मेरे पति मुझे बोलते हैं कि तुम कुछ नहीं कर सकती अब जो मै चाहूंगा वहीं होगा, महोदय मेरे माता पिता बूढ़े हैं और बहुत परेशान रहते हैं मै क्या करूं। कृपया मार्गदर्शन दें।
Advocate_Dheeraj
अनीता जी,
कोशिश करे की बच्चा हो जाए, फिर पति को झुकना पडेगा
Arjun Shrivastava
Sir,civil appeal aur rivision kya hota h
Advocate_Dheeraj
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