तलाक का केस चलते बच्चो की कस्टडी कैसे ले ? जाने कोर्ट में तलाक कैसे मिलता है ?
हाइलाइट्स :-
तलाक कितने प्रकार के होते है
तलाक लेते समय क्या परेशानिया आती है
तलाक / बच्चे / गुजरा भत्ता
आपसी सहमति से तलाक कैसे ले ?
बिना सहमति के तलाक कैसे ले ?
भारत में डिवोर्स तलाक लेना कोई आसान काम नहीं है. शादी के बंधन को तोड़ना बहुत मुश्किल है | तलाक से संबंधित भारत में बहुत से कानून बनाए गए हैं तलाक लेना एक बहुत ही लंबी प्रक्रिया है | आइये जानते है की तलाक कितने प्रकार के होते हैं और तलाक लेने के लिए क्या करना पड़ता है | इसके क्या परेशानिया आती है जैसे की बच्चे और गुजरा भत्ता इत्यादि | आज में आपको यह सारी जानकारी विस्तार से बताता हु ,आप इस जानकारी को ध्यान से पढ़े.
तलाक कितने प्रकार के होते हैं
हमारे देश में तलाक लेने के दो तरीके है | एक तलाक वो है जो आप आपसी सहमति से कोर्ट में लेते है और दूसरा तरीका कोर्ट में केस करके तलाक लेने का है | अगर हम बात करें इन दोनों तरीको में तलाक लेना किसमें आसान है | तो भारत में आपसी सहमति से तलाक लेने मैं बहुत ही आसानी होती है, अगर दोनों पक्ष सहमत है | तो बहुत ही आसानी से तलाक ले सकते हैं इसके लिए दोनों पक्ष जैसे पति और पत्नी दोनों इस बात के लिए सहमत होने चाहिए | कि हम दोनों अलग हो रहे हैं. और हमें तलाक चाहिए | जबकि दुसरा तरीका बहुत ही संघर्ष पूर्वक होता है | इसमें एक पक्ष तलाक लेना चाहता हैं और दूसरा पक्ष नहीं लेना चाहता है | इसमें केस भी लम्बे चलते है |
तलाक लेते समय क्या परेशानिया आती है
और जब भी तलाक होता है तो उसमें दो चीजें या परेशानिया जरूर सामने आती है पहला गुजारा भत्ता या और दुसरा बच्चों की देखरेख यह दोनों बातें बहुत ज्यादा देखी जाती है. और आपने किसी भी फिल्म TV सीरियल या किसी दूसरी चीज में देखा भी होगा कि जब कोर्ट में किसी का तलाक होता है. तो सुनवाई के दौरान गुजारे भत्ते और बच्चों की देखरेख की जिम्मेदारी माता पिता में से किसी एक को दी जाती है लेकिन ऐसे में गुजारा भत्ता पति को ही देना पड़ता है.
गुजारा भत्ता :-
हमारे देश में गुजारे भत्ते की कोई सीमा तय नहीं की गई है | और गुजारे भत्ते के लिए दोनों पक्ष पति और पत्नी एक साथ बैठकर फैसला कर सकते हैं कि उनको कितना गुजारा भत्ता चाहिए या उसको कितना गुजारा भत्ता वह पति दे सकता है | लेकिन कोर्ट पति की आर्थिक स्थिति, उसके उपर डिपेंड लोगो और उसकी कमाई को देखकर गुजारे भत्ते का फैसला करता है | पति की आर्थिक स्थिति यानी उसकी कमाई जितनी भी ज्यादा होगी उतना ही ज्यादा गुजारा भत्ता उसको अपनी पत्नी को देना होता है | जब कोर्ट में केस चलता है तो जिन लोगों का तलाक होता है उसमें पति को अपनी पत्नी के गुजारे के लिए पैसे देने होते हैं और वह कोर्ट तय करता है. कि कितने पैसे पति को हर महीने पत्नी को देने होंगे लेकिन कोर्ट यह भी ध्यान में रखता है कि पति की मासिक आय कितनी है |
बच्चों की जिम्मेदारी :-
दूसरी सबसे बड़ी समस्या यह सामने आती है कि जब आप का तलाक हो रहा है और उसमें आपके कोई एक या दो बच्चे हैं तो उन बच्चों की जिम्मेदारी कौन लेगा, पति या पत्नी और उनका कैसे बटवारा होगा और यह एक गंभीर समस्या होती है | लेकिन यदि दोनों पक्ष माता और पिता दोनों उन बच्चों की देखरेख करना चाहते हैं. तो यह उन दोनों की मानसिक सोच के ऊपर निर्भर होता है. इसके लिए उनको कोर्ट के द्वारा जॉइंट कस्टडी दे दी जाती है, इसमें वे अपने हिसाब से बच्चो को अपने पास समय अनुसार रख सकते है इसे हम शेयर चाइल्ड कस्टडी कहते हैं | अगर उन दोनों में से कोई एक इस जिम्मेदारी को लेना चाहता है तो उसे ये जिम्मेदारी दी जाती है | लेकिन परेशानी जब आती है जब दोनों की आपसी सहमती नही बनती है | तब केस जटिल हो जाता है |
ऐसे में इस बात का फेसला कोर्ट करता है की बच्चा किसके पास रहेगा अगर देखा जाए तो 5 साल के कम उम्र के बच्चों की देखरेख कोर्ट अपने अनुसार तय करता है की वो किसे दे | जैसे की बच्चा दूध पिटा है तो वो माँ को ही मिलेगा | लड़की भी माँ को ही दी जाती है | या फिर ज्यादातर जिसके पास होता है उसके पास ही रखा जाता है | अगर बच्चा 5 साल से ऊपर की आयु का है तो कोर्ट बच्चे की मर्जी पूछती है और उसके अनुसार ही बच्चे की कस्टडी माँ या पिता को देती है |
लेकिन कई बार दोनों ही पक्ष इस बात के लिए राजी नहीं होते और दोनों ही पक्ष अपने बच्चों को अपने पास रखना चाहते हैं | लेकिन यदि मां को बच्चे की देखरेख की जिम्मेदारी कोर्ट द्वारा दी गई है. और यदि उन बच्चों का बाप यह साबित कर दे कि मां बच्चों की सही देखरेख नहीं कर रही है तो, बच्चे की कस्टडी पिता को दे दी जाती है |
आपसी सहमति से तलाक कैसे ले ?
जैसे कि मैंने आपको ऊपर बताया है की हमारे देश में आपसी सहमति से तलाक लेना बहुत ही आसान है | सबसे पहले आप के लिए यह जरूरी होता है कि आप अगर तलाक लेना चाहते हैं, तो आप दोनों को पिछले 1 साल से अलग रहना चाहिय होता है | पहले दोनों 1 साल से अलग रहते हो उसके बाद आप केस दायर कर सकते हैं | इसके लिए फिर आपको कुछ जरूरी चीजें करनी होती है जैसे की :-
- सबसे पहले आप दोनों पक्षों को पति और पत्नी को कोर्ट में एक जॉइंट याचिका दायर करनी पड़ती है. जिसमें लिखना होता है हम दोनों आपसी सहमति से तलाक लेना चाहते हैं |
- इसमे आप लोग अगर पिछले एक साल से अलग रह रहे है इसका विवरण भी हो |
- आप लोगो एक समझोता पत्र भी हो जिसमे आप दोनों के अलग होने की बात और और कंडीशन पैसो, स्त्रीधन और बच्चो की कस्टडी की जानकारी हो |
- इसके बाद दोनों पक्षों के बयान जैसे पति और पत्नी दोनों के बयान कोर्ट में रिकॉर्ड किए जाते हैं. और पेपर पर साइन भी कराए जाते हैं, लेकिन अभी आपका तलाक नही हुआ है , अभी आधा तलाक हुआ है |
- जब आप कोर्ट में याचिका दायर करते हैं तो उसके बाद आपको कोर्ट 6 महीने का समय देती है. कि आप दोनों के पास अभी समय है और आप आपसी सहमति से अपने साथी के साथ रह सकते हैं. और आप सोच समझकर फैसला करें कि आपको दोनों को अलग होना है या नही और कोर्ट चाहती है, कि वह अपने रिश्ते को मजबूत बनाने के लिए समय दें ताकि उनका तलाक ना हो एयर 6 महीने के बाद आपको कोर्ट में दुबारा आवेदन करना होता है |
- 6 महीने के बाद भी अगर पति पत्नी की आपस में नही बनती है तो दोनों पहले मोशन की कॉपी लेकर फिर से कोर्ट में आवेदन करती है फिर कोर्ट दोनों पक्षों को बुलाता है और इस दौरान अंतिम सुनवाई होती है.और फिर भी अगर आप दोनों पक्ष अपनी सहमति से तलाक लेना चाहते हैं तो उसके बाद कोर्ट अंतिम सुनवाई में अपना फैसला सुना देता है | अबकी बार आपका तलाक हो जाता है | और आप लोगो को अपने तलाक की डिग्री मिल जाती है |
यह तरीका था, जिसमे दोनों पक्षों की सहमति से तलाक लेने का, जिसमें दोनों पक्षों को 6 महीने के अंदर ही तलाक मिल जाता है |
बिना सहमति के तलाक कैसे ले ?
अगर तलाक लेने के लिए दोनों पक्ष सहमत ना हो तो क्या होता है | यानी कि अगर दोनों पक्ष में से एक पक्ष तलाक लेना चाहता हो और एक पक्ष तलाक नहीं लेना चाहता हो तो उसके लिए एक पक्ष को दूसरे पक्ष पर केस करना होगा और भारत में आप तभी केस जीत सकते हैं, जब आपके साथी के साथ आपके साथ झगड़ा करता हो, वो आप को प्रताड़ित करता हो या आपका साथी आपको छोड़ देता है, या वो आपको किसी तरह की शारीरिक या मानसिक रूप से से प्रताड़ित किया जाता है, या आपके साथी की मानसिक स्थिति खराब हो या नपुंसक जैसी स्थिति हो | या फिर वो चरित्र हिन् हो यानी कि उसके साथ जिस भी कारण से साथ रहना मुश्किल हो | इस केस को लड़ने के लिए सबसे पहले जो पक्ष तलाक चाहता हो उसे कोर्ट में एक याचिका दायर करनी होती है. और साथ में यह सबूत भी दिखाने होते हैं. कि वह सच में तलाक का हकदार है. यानी उसको अपने साथी के द्वारा प्रताड़ित जाने या उसके साथ मारपीट किए जाने या उसके साथ कुछ दूसरी घटनाएं किए जाने का सबूत है उसको कोर्ट को दिखाने होते है | आइये जानते है की किस प्रकार से लड़ कर आप केस जीत सकते है |
- सबसे पहले आपको यह सुनिश्चित करना होता है कि आप किस आधार पर तलाक लेना चाहते हैं | और उसके बाद आप जिस भी आधार पर तलाक लेना चाहते हैं | उसके लिए सबूत इकट्ठा करने शुरू करें या अगर आपके पास सबूत है तो उनको केस में साथ लगाये | तलाक में सबसे महत्वपूर्ण चीज आपके लिए यही है. कि आप अपने साथी के खिलाफ कड़े से कड़े सबूत जुटाए और इकट्ठा करके कोर्ट को दिखाएं ताकि आपका पक्ष मजबूत हो |
- आप की याचिका दायर होने के बाद कोर्ट आपके दूसरे पक्ष पत्नी के खिलाफ नोटिस भेजेगी और इसके बाद यदि दूसरा पक्ष कोर्ट में नहीं पहुंचता है. तो यह मामला एक पक्ष का हो जाता है. और तलाक एक पक्ष द्वारा दायर किए गए सबूतों के आधार पर दे दिया जाता है | यदि कोर्ट द्वारा भेजे गए नोटिस को दूसरा पक्ष पढ़कर कोर्ट में अपनी सुनवाई के समय नहीं पहुंचता हैं, तो फिर चाहे उस का पक्ष मजबूत हो और उसके साथी का पक्ष बिल्कुल कमजोर हो तो भी आप को तलाक दे दिया जाता है |
- यदि दूसरा पक्ष कोर्ट के भेजे गए नोटिस के बाद कोर्ट में हाजिर हो जाता हैं, तो यह मामला दोनों पक्षों का हो जाता है. और उस दौरान कोर्ट में दोनों पक्षों की बातें सुनी जाती है. और कोर्ट इस मामले को समझाने की कोशिश करेगा और कोर्ट में केस चलेगा |
- ऐसे में दूसरा पक्ष अपना जवाब देता है जिसे W.S. (written statement) भी कहते है |
- इसके बाद दोनों पक्षों की गवाही शुरू होती है जिसे evidence कहते है |
- फिर दोनों पक्षों की बहस होती है फिर उसके बाद कोर्ट दोनों पक्षों द्वारा पेश किए गए सबूतों गवाहों और बयानों को देखने और जानने के बाद अपना फैसला सुनाती है और एक पक्ष के फेवर में फेसला हो जाता है |
लेकिन संघर्ष तलाक मैं आपको 2 से 3 साल, या फिर कई बार 5 या 6 साल भी लग जाते हैं | दिल्ली से बहार तो और भी ज्यादा समय लग जाता है | इसलिए अगर आप तलाक लेना चाहते हैं. तो दोनों पक्षों की सहमति के बाद ही तलाक लेने के लिए याचिका दायर करें ताकि आपको 6 या 7 महीने में ही तलाक मिल जाए | अगर आप तलाक लेना चाहते हैं और दूसरा पक्ष तलाक नहीं लेना चाहता हैं तो इस स्थिति में आपको तलाक लेने में बहुत समय लग सकता है |
जय हिन्द
Written By
Advocate Dheeraj Kumar
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