क्रॉस केस क्या है ? क्रॉस केस करने से क्या फायदा है ? अगर पुलिस क्रॉस केस नही करे तो कोर्ट द्वारा कैसे केस करे ?
हाइलाइट्स :-
क्रॉस केस क्या है ?
क्रॉस केस की शिकायत कैसे करे ?
कोर्ट द्वारा क्रॉस केस कैसे करे ?
क्रॉस केस से क्या फायदे है ?
क्रॉस केस करने की समय सीमा ?
क्रॉस केस क्या है ?
जैसे की आपके खिलाफ कोई शिकायत दे कर केस FIR रजिस्टर्ड करवा दे तो और बाद में, बदले में आप भी उसके खिलाफ कोई शिकायत दे कर FIR करवाते है तो वो केस क्रॉस केस कहलाता है | या फिर दोनो ही पार्टी एक दुसरे के खिलाफ एक ही टोपिक पर FIR करवा देते है तो वे केस क्रॉस केस कहलाते है |
क्रॉस केस की शिकायत कैसे करे ?
वैसे पुलिस आपकी शिकायत पर ही क्रॉस केस कर दे तो ठीक है वरना कई बार क्या होता है की पुलिस सामने वाली पार्टी से मिल जाती है और आपकी बात नही सुनती है और FIR करने से साफ़ मना कर देती है, तो ऐसे में क्या करे |
ऐसे में आपको सबसे पहले दो काम करने है पहला उपर ऑफिसर जैसे की ACP/ DSP/ DC/ DSP/ SP/ DIG/ IG को शिकायत या 112 पर पुलिस काल और दूसरा अपना मेडिकल बनवाना है | आइये इनको डिटेल में जानते है |
- सबसे पहले अगर पुलिस में शिकायत दे अगर पुलिस आपकी शिकायत नही लेती है तो आपको पास के बड़े पुलिस ऑफिसर को करनी है, अगर वहा जाने के लिए समय नही है या फीर कोई बड़ा ऑफिसर वहा से ज्यादा दूर है तो, आप ऐसे में पुलिस को 112 नंबर पर कॉल करे | ऐसे कॉल करके भी आपकी शिकायत पुलिस पोर्टल पर दर्ज हो जाती है जिससे की आप कल को RTI (सुचना का अधिकार) लगा कर अपनी पुलिस में 112 नंबर कॉल की डिटेल ले सकते है | वैसे इसमें सुप्रीम कोर्ट की डायरेक्शन के हिसाब से पुलिस में 112 कॉल पर की गई शिकायत भी एक प्रकार से शिकायत ही मानी जाएगी | इसके बाद आप किसी बड़े पुलिस ऑफिसर को लिखित में शिकायत दे (पोस्ट से भी भेज सकते है ) और अपनी FIR रजिस्टर्ड करने की बात कहे | ऐसे वो ऑफिसर आपकी शिकायत पर एन्कुँरी करवा कर स्वय भी FIR के आदेश दे सकता है |
- दूसरा आप मेडिकल करवाए, अगर अगर आपको कोई चोट लगी है आपने तभी उपर ऑफिसर को शिकायत दी है उनको अपना मेडिकल करवाने को भी कहे, अगर वो पुलिस ऑफिसर आपकी बात नही सुनता है या फिर चोट ज्यादा है और किसी बड़े पुलिस ऑफिसर के पास जाने का समय नही है और आपका मेडिकल नही करवाती है और सामने वाली पार्टी का मेडिकल करवा दिया गया है तो ऐसे में आप अपना प्राइवेट में भी मेडिकल करवा सकते है | वो भी मान्य होता है |
मेडिकल जरुर करवाये, अगर आपको थप्पड़ भी लगा है तो उसका मेडिकल भी जरुर करवाए, इसके लिए आपक कह सकते है की गाल या मुह में दर्द है आपका गाल लाल है, इसके अलावा आप अपने गाल की फोटो भी ले सकते है, दोस्तों, ये में इसलिए कह रहा हु क्योकि, कोर्ट सबूतों के आधार पर ही सजा सुनाती है, अगर आपके पास मेडिकल नही है तो इसका मतलब है की आपको चोट लगी ही नही है , इसलिए छोटी से छोटी चोट का भी मेडिकल बनवाये, चाहे तो एक खरोच ही क्यों नही हो |
कोर्ट द्वारा क्रॉस केस कैसे करे ?
दोस्तों अगर आपकी पुलिस नही सुने और उपर शिकायत करने पर कोई बड़ा पुलिस ऑफिसर भी नही सुने तो आप एक अच्छे वकील साहब के द्वारा धारा 156 (3) CRPC में कोर्ट में माध्यम से कोर्ट में केस करे | उसमे सभी बात सबूतों के साथ अपनी बात कहे | ऐसे में कोर्ट आपकी बात सुन कर आपकी FIR रजिस्टर्ड के आदेश दे देगी | ऐसे में आप अपनी शिकयत में अपनी बात कहते है और आप मेडिकल रिपोर्ट भी देते है | अगर कोर्ट को लगे की आपकी बात और तथ्यों में दम नही है तो वो धारा 200 CRPC में कोग्निज़ेंस लेकर उसमे आपकी गवाही आपके गवाहों की गवाही और आपके सबूतों की जाँच करके केस को देखती है और तब वो केस में FIR करवाने के आदेश देती है | अगर तब भी आपके केस में FIR के आदेश नही हो तो आप उपर इस आदेश के खिलाफ जा सकते है या फिर सीधे हाई कोर्ट में भी केस कर सकते है |
आप इस पोस्ट की डिटेल को मेरे you tube video के माध्यम से भी देख सकते है |
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क्रॉस केस से क्या फायदे है ?
- क्रॉस केस से आप विरोधी पार्टी पर दबाव बना सकते है की वो अपना केस वापस ले या फिर उसमे समझोता करे | कयोकी होगा ये की अगर आपने उन पर केस नही किया तो विरोधी पार्टी का हाथ सबसे उपर रहता है और वो आपको दबाव बना कर रखती है | ऐसे में समझोते होने चांस बहुत ही कम हो जाते है | अगर समझोता होता भी है तो उसमे आपको उनकी बात माननी होती है
- क्रॉस केस करने के कारण आप सजा से बचजाते है क्रोस केस के कारण अगर सजा भी हो जाती है तो आपको ये रहता है की सजा दोनों ही पक्षों को होगी तो ऐसे में केस समझोता हो ही जाता है | क्यकी दुसरे पक्ष को डर रहता है जैसे की आपको केस के अनुसार सजा 5 साल की होनी है और विरोधी पार्टी को 1 साल की सजा होनी है, लेकिन सजा तो सजा है ऐसे में डर तो सभी को लगता है |
- क्रॉस केस होने वजह से केस में पैसा दोनों का बराबर लगता है | दोनो हि पक्ष कोर्ट में केस लड़ते है तो पैसा दोनों का ही लगता है तो ऐसे में आपको ये दुःख नही होता है की सिर्फ मेरा ही पैसा केस में लगा है विरोधी पार्टी का नही |
- क्रॉस केस लम्बे नही चलते है वे जल्दी खत्म हो जाता है | वरना होता ये है की क्रॉस केस नही होने पर केस लम्बे चलते है और पैसा भी ज्यादा लगता है |
- किसी भी केस को खत्म करने का सबसे अच्छा तरीका भी यही है | क्रॉस केस करने से सामने वाली पार्टी दबाव में आ जाती है, और समझोता कर लेती है |
- क्रॉस केस होने की वजह से आपका केस में समझोता होता है तो बराबरी की बात रहती है वरना आपको समझोते में पैसे देने पड़ते | अब क्रॉस केस तो बराबरी का matter है, ऐसे में आपका पैसा बाख जाता है | अगर आपके खिलाफ ही केस होता तो आपको विरोधी पार्टी को मनाने के लिए पैसा भी देना होता और इसका दुःख भी सारी जिंदगी रहता |
क्रॉस केस करने की समय सीमा ?
वैसे किसी भी क्रिमिनल केस करने की कोई भी समय सीमा नही होती है | लेकिन फिर भी जब हम को सामने वाली पार्टी के केस के बारे में पता चल जाए तो बिना देरी के केस कर देना चाहिए | वैसे केस उसमे सबुत भी जुटा लेने में परेशानी आती है क्यकी बात बहुत लम्बी हो चुकी होती है, अगर आपको कोई चोट लगी भी होती है तो वो भी ठीक हो चुकी होती है | लेकिन फिर भी में कहूँगा की आपको क्रॉस केस करना चाहिए | कयोकी केस का डर ही काफी होता है सामने वाली पार्टी को समझोते के लिए मजबूर करने के लिए | इसलिए जब भी आपको अपने खिलाफ केस का पता चले, तभी केस कर देना चाहिए, देरी नही करे, जैसे भी सबूत आपके पास उनके द्वारा ही केस करे | लेकिन केस जरुर करे |
जय हिन्द
Written by
Advocate Dheeraj Kumar
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Advocate_Dheeraj
तहसीलदार के सामने केस करे
Ssk
Sir application 2 no paxo ne de di h lakin fir registration sirf 1 pax ka hua h kheta h cross case h anti party pr 25 hum pr 26 lagi hui h hamari fir registration nhi hui
Advocate_Dheeraj
Ssk जी, कोर्ट में धारा 156 (3) crpc में केस करे
Prathvi
Sir mera तलाक का केस दर्ज है 5 साल से ज्यादा हो गया मेरी पत्नी ने jhote आरोप लगाया है और वो बहुत ही चालक है ushne दहेज से और घरेलु हिंसा के jhote आरोप लगा कर अलग अलग धारा लगाई है और ushke परिवार के लोग बहुत पावर फुल है किन्तु मेरी पत्नी सोशल मीडिया पर मेरे साथ की फोटो viral karti hai जिसे लोगों me मेरे और ushke रिश्ते में समान्य हो मे बहुत ज्यादा परेशान हू, मानसिक तनाव से गुजर रहा हू क्या करू बताएं
Advocate_Dheeraj
Prathvi जी,
कॉल करके सलाह ले डिटेल वेबसाइट पर दी गई है
Ishita Gautam
Sir,main bahut pareshan hu, sasural walo ki vajah se police walo ko vajah se,or mahila aayog ki vajah se,kanooni sirf naam matra h,aurton k liye,jiske paas Paisa h or source h,usiki sunwai hoti h,ab main jeena nahi chahti hu,mujhe ichchha mirtyu k liye Kya karna chahiye.please suggest me.
Advocate_Dheeraj
Ishita Gautam जी,
हाई कोर्ट में आवेदन करे, वही इसे स्वीकार कर सकती है, लेकिन इस वजह से वो भी स्वीकार नही करेगी |
इसपर मैंने एक पोस्ट भी लिखी है उसे भी देखे
mahi
सर मैं संविदा जॉब से terminated कर दिया गया हूँ चूँकि मेरे ऊपर रंजिशन 498a मुकदमा दायर किया गया ,फिर प्रथम अपीली जो जिला सीईओ द्वारा ख़ारिज और दूसरी व् अंतिम अपीली कमिश्नर में पेंडिंग है और इस तरह 14 माह से टर्मिनेट हूँ जबकि कुछ लोगो के same matter अर्थात FIR व 48 घंटे से ज्यादा जेल में होने पर टर्मिनेट होने पर वे सीधे high court में रिट petition लगाकर पुनः joining order ले आये लेकिन मैं बिभागीय अपीली में उलझा रहा और 14 माह का समय बर्बाद हुआ है तो सर में ये जानना चाहता हूँ कि
1. क्या 14 माह का अंतराल होने के बाद रिट पेटिशन लगा सकते हैं?
2. क्या बिभागीय अपीली के पेंडिंग रहते हुए hc में रिट लगा सकते है ?
3. यदि 14 माह बाद रिट लगा सकते हैं और दुर्भाग्यवश ख़ारिज हो जाये तथा बिभागीय अंतिम अपीली भी ख़ारिज होने की दशा में हाई कोर्ट में पुनः जा सकते है क्या सर ?
Advocate_Dheeraj
mahi जी,
1 आप रिट लगा सकते है
2 yes
3 yes