प्रशन :-वकील साहब ये इच्छा मृत्यु व लिविंग विल क्या है तथा इच्छा मृत्यु कैसे ली जा सकती है तथा भारत में इस के लिए क्या कानून है
उत्तर :- इच्छा-मृत्यु शब्द का उदय मूलतः ग्रीक (यूनानी) शब्द यूथेनेसिया (Euthanasia) से हुआ है जिसका अर्थ Eu=अच्छी, Thanasia= मृत्यु होता है। यूथेनेसिया, इच्छा-मृत्यु या मर्सी किलिंग (दया मृत्यु) पर दुनियाभर में बहस जारी है। इस मुद्दे से क़ानूनी के अलावा मेडिकल और सामाजिक पहलू भी जुड़े हुए हैं। यह पेचीदा और संवेदनशील मुद्दा माना जाता है। दुनियाभर में इच्छा-मृत्यु की इजाज़त देने की मांग बढ़ रही है। मेडिकल साइंस में इच्छा-मृत्यु यानी किसी की मदद से आत्महत्या और सहज मृत्यु या बिना कष्ट के मरने के व्यापक अर्थ हैं। क्लिनिकल दशाओं के मुताबिक़ इसे परिभाषित किया जाता है।
पैसिव यूथेनेशिया’ यानि इच्छा-मृत्यु वह स्थिति है जब किसी मरणासन्न व्यक्ति की मौत की तरफ बढ़ने की मंशा से उसे इलाज देना बंद कर दिया जाता है। कोर्ट ने अपने फेसले में कहा है की अगर कोई लिविंग विल करता भी है तो भी मेडिकल बोर्ड की राय के आधार पर ही जीवन रक्षक उपकरण हटाए जाएंगे।
दिनाक 09.03.2018 को सुप्रीम कोर्ट ने इच्छा-मृत्यु पर से बैन हटा दिया है तथा तथा अपना ऐतिहासिक फैसला देते हुये इन्सान को भी सम्मान से अपनी मर्जी से मरने की इजाजत दी है नई दिल्ली (जेएनएन)। इच्छा मृत्यु को सुप्रीम कोर्ट से मंजूरी मिल गई है। सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की संवैधानिक पीठ ने फैसला सुनाते हुए शर्त के साथ इच्छा मृत्यु को मंजूरी दी है। इसको लेकर कोर्ट ने सुरक्षा उपाय की गाइडलाइन्स भी जारी की है। सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में मरणासन्न व्यक्ति द्वारा इच्छामृत्यु के लिए लिखी गई वसीयत (लिविंग विल) को मान्यता देने की बात कही गई थी |
इच्छा-मृत्यु के प्रकार :- इच्छामृत्यु दो प्रकार की होती है (1) निष्क्रिय इच्छामृत्यु व (2) सक्रिय इच्छामृत्यु इन दोनों में अंतर है |
निष्क्रिय इच्छा-मृत्यु में मरीज जीवन रक्षक प्रणाली पर अचेत अवस्था में रहता है। वह तकनीकी तौर पर जिंदा रहता है, लेकिन उसका शरीर और दिमाग दोनों निष्क्रिय होते हैं। वह तकनीकी तौर पर जिंदा रहता है, इस स्थिति में उसे उसके परिवार की मंजूरी पर इच्छामृत्यु दी जा सकती है।
वहीं सक्रिय इच्छामृत्यु के मामले में मरीज खुद इच्छा मृत्यु मांगता है। ऐसे मरीजों के ठीक होने की उम्मीद खत्म हो जाती है या उनकी बीमारी लाइलाज होती है और भुत शाररिक पीड़ा में होता है और उनके चाहते पर इच्छा मृत्यु दी जा सकती हे l
क्या है लिविंग विल :- लिविंग विल में कोई भी व्यक्ति जीवित रहते वसीयत कर सकता है (जैसे की हम आम वसीयत करते है) कि अगर उसकी लाइलाज-बीमारी सही नही हो और वो इसके बारे में कोई भी विचार प्रकट करने या फिर अपनी बात कहने में समर्थ नही हो या फिर वो किसी हादसे द्वारा इस हालत में पहुच जाये तो ऐसा होने पर उस लाइलाज बीमारी से ग्रस्त होकर जीवित होने पर भी मृत्य होने जैसे पहुंचने पर उसके शरीर को जीवन रक्षक उपकरणों पर न रखा जाए। और उसे इच्छा-मृत्यु दे दी जाये
“लिविंग विल” एक लिखित दस्तावेज होता है जिसमें कोई मरीज पहले से यह निर्देश देता है कि मरणासन्न स्थिति में पहुंचने या रजामंदी नहीं दे पाने की स्थिति में पहुंचने पर उसे किस तरह का इलाज दिया जाए। या फिर इलाज न देकर इच्छा मृत्युदे दी जाये और इस कार्य में वह अपनी सहमती देता है
सम्मान से मरना हर व्यक्ति का हक :- सुप्रीमकोर्ट ने गरिमा से जीने के अधिकार में गरिमा से मरने के अधिकार को शामिल मानते हुए व्यक्ति को ‘लिविंग विल’ यानी इच्छामृत्यु का अधिकार दिया है। कोर्ट के इस फैसले के बाद अब कोई व्यक्ति जीवित रहते मौत की वसीयत करके कह सकता है कि अगर वह मरणासन्न और लाइलाज स्थिति मे पहुंच जाए तो उसके जीवन रक्षक उपकरण हटा लिए जाएं। सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर इच्छामृत्यु की मांग करने वाले लावते दंपति ने कहा, ‘हम सुप्रीम कोर्ट से फैसले से पूरी तरह सहमत नहीं हैं। 75 वर्ष से अधिक आयु के लोगों को यह अधिकार दिया जाना चाहिए। वे पुलिस और डॉक्टरों से इन लोगों के विवरण की पुष्टि कर सकते हैं। सरकार को एक नीति के साथ आगे आना चाहिए।’
वहीं, इच्छामृत्यु के फैसले पर मांसपेशीय दुर्विकास (मस्कुलर डायस्ट्रोफी) की मरीज अनामिका मिश्रा ने कहा, ‘मैंने साल 2014 में इच्छा मृत्यु के लिए अनुरोध किया था और प्रधानमंत्री मोदी ने इसपर संज्ञान भी लिया और स्थानीय अधिकारियों को इस मामले की जांच करने के लिए कहा था। सुप्रीम कोर्ट ने अच्छा फैसला लिया है, अब हमें उम्मीद है
इच्छा मृत्यु व लिविंग विल के विरोध में केंद्र :- सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में 12 अक्टूबर 2017 को अपना फैसला सुरक्षित रखा था। और अंतिम फेसला 09 मार्च 2018 को दिया सुनवाई में केंद्र ने इच्छा मृत्यु का हक देने का विरोध करते हुए इसका दुरुपयोग होने की आशंका जताई थी। पिछली सुनवाई में संविधान पीठ ने कहा था कि ‘राइट टू लाइफ’ में गरिमापूर्ण जीवन के साथ-साथ गरिमामय ढंग से मृत्यु का अधिकार भी शामिल है’ ऐसा हम नहीं कहेंगे। हालांकि पीठ ने आगे कहा कि हम ये जरूर कहेंगे कि गरिमापूर्ण मृत्यु पीड़ा रहित होनी चाहिए। हालांकि केंद्र ने इच्छा मृत्यु यानी लिविंग विल का विरोध किया है।
इच्छा मृत्यु व लिविंग विल पर हमारा कानून :- इच्छा मृत्यु व लिविंग विल के लिए हमारे देश के कानून में कोई प्रावधान नही है न ही इसके लिए कोई एक्ट बनाया गया है न ही कोई धारा या आर्टिकल हमारे सविधान में रखा गया है ये एक धारणा है जो की समाज में पैदा हुई है जिसको की कोर्ट द्वारा एक जामा पहनाया जा रहा है इसी प्रकार के ही कानून हमारे देश में व विदेशो में है जो की लिखित कानून का हिस्सा न हो कर भी कानून बन गये है |
इच्छा-मृत्यु कैसे ले :- इच्छा-मृत्यु किसी को भी उस व्यक्ति के हालत के अनुसार ही मिलती है इसके लिए कोर्ट व मेडिकल बोर्ड अपनी इजाजत देता है मेडिकल बोर्ड की इजाजत इस्लोइए जरूरी होती है ताकि वो ये बयाँ दे की इस बीमारी का कोई इलाज नही है या ये बीमारी व्यक्ति को बहुत ही ज्यादा दुख व परेशानी दे रही है और इससे छुटकारा सिर्फ मृत्यु ही है
(1) अगर कोई व्यक्ति पहले से लिविंग विल कर चूका है और उसमे अपनी बीमारी या ऐसे हालत होने का ब्यौरा दे चूका है की उसे ऐसे हालत होने पर इच्छामृत्यु दी जाये और बाद में वह मानसिक रूप से स्वस्थ नही है या उसका मस्तिक्ष निष्क्रय है तो उसे उस लिविंग विल के अनुसार मडिकल बोर्ड द्वारा इच्छामृत्यु दे दी जाएगी
(2) और अगर वह व्यक्ति अगर सचेत है और किसी गम्भीर बीमारी से पीड़ित है तो उसे कोर्ट से अनुमति लेकर ही इच्छा मृत्यु दी जाएगी | ऐसे में कोर्ट मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट व राय पर ही अपना निर्णय लेता है |
(3) और अगर कोई व्यक्ति बिना लिविंग विल किये ही कोमा में चला जाता है या फिर किसी ऐसी बीमारी का शिकार हो जाता है जिसमे की वो अपनी सहमती देने में असमर्थ है तो ऐसे हालात में उस व्यक्ति के परिजन कोर्ट में उस व्यक्ति के लिए इच्छा-मृत्यु की याचना कर सकते है ऐसे में कोर्ट का निर्णय ही अंतिम निर्णय होगा | ऐसा अधिकार कोर्ट ने अपने पास इसलिए रखा है ताकि इस कानून का दुरूपयोग नही हो सके
इच्छा-मृत्यु लेने के तरीके :- इच्छा-मृत्यु व्यक्ति को इस प्रकार से दी जाती है जिससे उस व्यक्ति को किसी भी प्रकार का दर्द नही हो और उसके लिए सबसे अच्छा तरीका इंजेक्शन होता है ऐसे में उस व्यक्ति को दिल की धडकन रोकने वाला इंजेक्शन दिया जाता है जिससे की व्यक्ति की दिल की धडकन बिना किसी दर्द के अपने आप कम हो कर रुक जाती है और उस की मृत्यु कारित होती है | यह पर में उस दवाई का दुरूपयोग न हो इसलिए उस का नाम यहा नही लिख रहा हु |
जानिए इच्छा मृत्यु व लिविंग विल पर बाकी देशों में कैसी व्यवस्था है :- अमेरिका के कुछ राज्यों में इच्छा मृत्यु व लिविंग विल को मंजूरी है। जैसे ओरेगन, वॉशिंगटन और मोंटाना, इनमे डॉक्टर की सलाह और मदद से मरने की इजाजत है। वहीं स्विट्जरलैंड में यूं तो इच्छा मृत्यु व लिविंग विल गैर-कानूनी है, लेकिन व्यक्ति खुद को इंजेक्शन देकर जान दे सकता है । नीदरलैंड्स में मरीज की मर्जी के बाद डॉक्टर उसे इच्छा-मृत्यु दे सकता है। वहीं बेल्जियम में सितंबर 2002 से इच्छा मृत्यु व लिविंग विल वैधानिक हो चुकी है। ब्रिटेन, स्पेन, फ्रांस और इटली जैसे यूरोपीय देशों सहित दुनिया के ज्यादातर देशों में इच्छा मृत्यु व लिविंग विल गैर-कानूनी है।
जय हिन्द
द्वारा
अधिवक्ता धीरज कुमार
इन्हें भी जानिये
-
- किरायानामा या रेंट एग्रीमेंट कैसे बनाये
- affidavit / शपथपत्र / हलफनामें के प्रकार
- Will वसीयत क्या है इसे कैसे करे / what is will
- probation प्रोबेशन सजा माफ़ी क्या होता है कैसे जज अपराधी को सजा सुनाने के बाद भी तुरंत बरी कर सकता है
- Name Change procedure क्या है कैसे आप अपना नाम सरकारी गजट में बदलवा सकते हो
- मध्यस्थता केंद्र mediation centre अगर कोई इसमे बातचीत रिकॉर्ड कर ले या केस खत्म होने पर इसके आर्डर को ना माने तो क्या होगा
- fake fir झूठी अफ आई आर से बचने का उपाय
Deep
Hello sir…mere bro auto driver hai…uski auto me kuj log Beth kar gey..un logo ne Kisi k sath crime kar diya.means Kisi person par in 4 logo ne kirpan SE hamla Karke Marne ki koish ki. Es me mere bro par v for ho hai ..jisme act 307 or 326 laga hai..Baki lag Tu police ne arrest kar liye hai..magar mere bro bhaga hai..Hun kese use bachee..plz sir help me
Advocate_Dheeraj
Deep जी,
कॉल करके सलाह ले, डिटेल वेबसाइट पर दी गई है
Shane Ali
सर मेरी बीबी ने मूझ पे जूठा केस करदी या ह तीन तलाक़ का
ओर दहज का ओर मेने कॉर्ट से बेल ले ली हे अब में तारीक पर जाओग तो बो मूझ बंद तो नहीं करे गे
Advocate_Dheeraj
Shane Ali जी,
नही बंद करेंगे
danish
sir 376 posco
me jmanat ya bel kesi hogi or isme kitna time lag sakta h
Advocate_Dheeraj
danish जी,
बिना FIR देखे और केस के फैक्ट्स जाने , ऐसे नही बताया जा सकता है
Suresh Chandra
Sir 26-08-2019 Ko mere beti k WhatsApp par ek number se dhamki bhare msg aye . Hamne police me un msg ki hardcopy Laga k shikayat ki police ne application Ko rakh liya or bola ki bad me janch karke fir likhenge or hamare Ane k bad police ne Usme se ek admi jo mobile user tha uska nam hata diya ab kya ho Sakta hai
Advocate_Dheeraj
Suresh Chandra जी,
आप उपर पुलिस ऑफिसर को शिकायत कर सकते है
या फिर कोर्ट में प्रोटेस्ट एप्लीकेशन लगा कर कोर्ट के द्वारा अपना काम करवाए
Sandeep
Ek ladke ne room dikhakar mujhse 2000 advace paise le liye aur wo bina mujhe bataye kisi aur ko rakh liya apne sath….ab wo mera paisa nhi lauta rha hai kya karu?
Advocate_Dheeraj
Sandeep जी,
अपना पैसा भूल ही जाए तो अच्छा है |
अगर उसने झूठी शिकायत कर दी तो 2 लाख और खर्च करने पड़ जायेंगे
Lalu ram
सर में अपना नाम चेंज करवाना चाहता हु ओर अभी मेरे b.sc की पढ़ाई कर रहा हु तो मुझे नए नाम से डिग्री मिलेगी क्या
Advocate_Dheeraj
जी हा, आपको नये नाम से ही डिग्री मिलेगी
Ritu
Good
Advocate_Dheeraj
धन्यवाद
Chandan Kumar
Sar mera302dhra ka kese hai khatm krana hai kya aap kar degeyega
Advocate_Dheeraj
जी हां हो जाएगी | आप मुझे काल करे