मेंटेनन्स / गुजरा भत्ता का केस, कैसे जीते ? पति कैसे पत्नी को हराये ?
हाइलाइट्स :-
# पति द्वारा में मेंटेनन्स / गुजरा भत्ता नही देने के 30 तरीके
# मेंटेनन्स / गुजरा भत्ता का केस होने से पहले की तयारी और केस होने बाद के क़ानूनी तरीके
आज के समय में पति द्वारा दहेज का लड़ना या जितना कोई मुश्किल काम नही है | लेकिन इसमें सबसे बड़ी परेशानी आती है पत्नी को में मेंटेनन्स / गुजरा भत्ता देने की | एक ये ही ऐसी चीज है जो की पति को पत्नियों के सामने झुकने के लिए मजबूर कर देती है | पत्नी का अगर एक बार मेंटेनन्स / गुजरा भत्ता बंध गया तो वो केस को लंबा खीचने की कोशिश करती है | दोस्तों आज हम एक पोस्ट में जानेगे की पति अपनी पत्नी को मेंटेनन्स / गुजरा भत्ता देने से कैसे बचे, ये सारी जानकारी आपके उपर केस होने से पहले और केस होने के बाद में काम आएगी ?
इस जानकारी को हम दो भागो में बाटते है पहला केस होने से पहले की तयारी और केस होने के बाद की तयारी |
मेंटेनन्स / गुजरा भत्ता का केस होने से पहले पति क्या तयारी करे
- सबसे पहले अपने नाम से कार, बैंक बैलेंस है तो उसे अपने भाई बहन चाचा या किसी के नाम कर दें! बैंक में ज्यादा पैसा नही रखे ।
- पत्नी की आपकी सम्पति में रहने के अलावा कोई हक नही होता है इसलिए सम्पति के लिए डरे नही लेकिन उसे अपने घर में नही घुसने दे | अपने मकान को किराये पर दे दे |
- माता पिता के नाम घर हो तो उसके लिए केस करके उस घर पर स्टे ले | ताकि आप की पत्नी उस घर में नही घुस पाए | अगर वो घर में आ गई तो केस लड़ने में और उसे जितने में परेशानी होगी |
- आपकी कोई पालिसी है जैसे की LIC तो आप उसे गोपनीय रखे।
- जहां आप काम करते हैं उसका ब्यौरा भी कभी नहीं देना चाहिए। हो सके तो अपने इनकम को भी छुपाये |
- बच्चों की कस्टडी अगर पत्नी के पास है तो आप भी बच्चो की कस्टडी का केस तुरन्त लगा दे |
- आपकी पत्नी पहले क्या कमाती थी और अब कुछ काम कर रही है या नही इसके सबूत इकठ्ठे करे |
- पत्नी की ऑडियो विडियो रिकॉर्डिंग करे | ताकि कोर्ट में आप उसका स्वभाव व चरित्र दिखा सके |
मेंटेनन्स / गुजरा भत्ता का केस होने बाद पति क्या करे
- मेंटेनन्स / गुजरा भत्ता के केस होने पर आप कोर्ट में जाये तो सबसे पहले पत्नी के पीटीशन की नकल निकलवायें। जवाब देने में जल्दबाजी नही करें। आपके समय होता है | आप इन दिनो में अपनी पत्नी के खिलाफ एविडेंस एकत्रित करें, और पत्नी की पीटिशन के हर शब्दों का बारीकी से आकलन करें ।
- पत्नी की पीटिशन की कॉपी में देखे की वो घरेलू हिंसा की घटना और आपकी कमाई को कैसे दिखा रही है | इसमें यह देखें सबसे पहले की वह जो घटना बता रही हैं वह महीना साल तारीख समय उसमें है कि नही। अगर नहीं है तो अपने जवाब में पोइंट मेंशन करें। कि घटना का दिन महीना साल समय नहीं बताया गया है क्यकी ये सब सच नही है । आप अपनी पत्नी के हर पाइंट आफ व्यू को समझने की कोशिश अवश्य करें। यह मैं सब बाते यहा लिख नहीं सकता हु, क्योंकि बहुत सारी बातें होती हैं |
- पत्नी अपने आप को बेसहारा असहाय बताये तो प्रश्न करें कि यह बेसहारा किस कारण से है कारण बताये। जब वह बेसहारा व असहाय है तो अपने पति के पास क्यों नहीं रहती है। वहां क्यों रह रही है कारण बताये । लेकिन उसे आपको अपने घर भी नही लाना है|
- अगर आपकी पत्नी बोलती है कि उसके पास आय का साधन नहीं है | वो ज्यादा पढ़ी लिखी नही है तो आप उसके पढ़ाई लिखाई के एविडेंस कोर्ट में प्रस्तुत करें। और उसके सिलाई कड़ाई या कंप्यूटर आदि के जो भी सर्टीफिकेट हैं उसे पेश करें। अगर आपके पास सिर्फ उन यूनिवर्सिटी की जानकारी है और पेपर नही है तो आप धारा 91 CRPC में एप्लीकेशन लगा कर उन डॉक्यूमेंटस को उस यूनिवर्सिटी से पुलिस के द्वारा मागवा सकते है या फिर अपनी पत्नी को देने के लिए मजबूर कर सकते है |
- अगर पत्नी की कोई भी बात कोर्ट में झूठी साबित होती है तो आप कोर्ट में धारा 340 crpc में आवेदन करे कोर्ट आपकी पत्नी के खिलाफ F.I.R. के आदेश दे देगा | इससे आपको कोर्ट में केस जितने में आसानी होगी |
- पति कोर्ट में कभी भी अपने आप को कोर्ट में क्वालिफाइड और पढ़ा लिखा शो ना करें, साधारण रूप से पेश आये ।
- पति कोर्ट में टिप टाप बनकर ना जायें, बल्कि सामान्य वेशभूषा व सादे कपड़े पहन कर जाये। कभी भी अपना ऊँचा स्टैंडर्ड कोर्टको नही दिखाये |
- पति कभी भी कोर्ट में महंगी घड़ी, चैन, अंगूठी, महंगा मोबाइल भी न लेकर जायें अगर आप अपना मोबाइल ले भी जाते हैं तो जेब में रखे, कोर्ट में नही दिखाए । क्योंकि जज यह सब छोटी छोटी बातों को देखता है । जो आप लोग नहीं समझते है । जज की मानसिकता ये होती है की वो पति को देखकर ही वह सब आकलन करता है की वो कितना अमीर है और कितने पैसे दे सकता है | इसलिए इस बात भी पर विशेष ध्यान दें ।
- कोर्ट में अनावश्यक नही बोले सिर्फ उतना जवाब दे जितना की जज साहब पूछे । पति हमेशा अपने वकील साहब को बोलने दे अगर आप ज्यादा बोलेंगे तो जज आपसे सब बातें निकलवाने के लिए आपको बातों में घूमायेगे । इस पर विशेष तौर से ध्यान दें ।
- मेंटेनन्स / गुजरा भत्ता की बहस में आप तुरन्त आपत्ति दे कि पत्नी को बैठे बेटे बिना काम किये पैसा नहीं देंगे |
- पति को चाहिए की वो पत्नी की जितनी हो सके उतनी क्रुअल्टी बिंबित करने में फोकस करें। किसी तरह की आडियो या विडियो या किसी डाकयूमेकट के आधार है तो और भी अच्छी बात होगी |
- पति को चाहिए की वो ऐसे डाक्यूमेंट कोर्ट में देने की कोशिश करें जिससे कि पत्नी मायके में ही ज्यादा समय गुजारती है ऐसे डाक्यूमेंट जरुर कलेक्ट करें।
- आपने अपनी पत्नी की शोपिंग की हो उसे कही घुमाया हो ऐसे भी सबूत दे | इसके अलावा आपने उसका डाक्टरी इलाज करवाया हो या किसी कोर्स किया हो तो उसके सबूत दे की आप उसे खुश रखते थे | लेकिन वो ही अपना घर खराब कर रही है |
- कोर्ट में कोशिश यही करें कि ये ही कहे की आप उसे रखना चाहते हैं बस इसी बात पर अडे़ रहें |
- जब भी आप पर मेंटेनन्स / गुजरा भत्ता का केस हो तो आप भी अपने माता पिता के द्वारा अपने ऊपर मेन्टीनेंस का केस लगवा लें | अगर आपकी सैलरी अच्छी है तो या आप सरकारी नौकरी करते हैं वह तो ये जरुर यह करें।
- अगर आपकी पत्नी ने आप पर घरेलू हिंसा का केस किया है तो आप भी अपनी मां से या बहन से DV घरेलू हिंसा का केस अपनी पत्नी और उसकी फैमिली पर जरुर करें | इससे उसके उपर दबाब भी बनेगा |
- जब आपकी पत्नी आप पर मेंटेनन्स / गुजरा भत्ता का केस करें तो आप भी अपनी पत्नी पर मेन्टीनेंस का केस जरुर करे जिसमें आप कोर्ट में आने जाने का खर्चा वकील का ख़र्च की मांग करें। चाहे उसमें कुछ हो ना हो।पर आप जरुर पत्नी से मेन्टीनेन्स लेने का केस लगा ही दे। इससे उस पर दबाव बनेगा |
- मेंटेनन्स / गुजरा भत्ता के केस में अन्तरिम की बहस जल्दी से जल्दी कराने की कोशिश करें और उस पर हाईकोर्ट से स्टे लें और फाइनल पर बहस की जल्दी से जल्दी की कोशिश करें। केस जल्दी ख़त्म होने में पति का फायदा है
- अगर कोर्ट आप पर मेंटेनन्स / गुजरा भत्ता बांधता है तो घबराये नहीं उपर हाईकोर्ट या सेशन कोर्ट से स्टे के लिए अपील या रिवीजन पर जाये। शायद आपका खर्चा कम हो जाए |
- किसी भी हाल में मेंटेनन्स / गुजरा भत्ता केस से डरकर जल्दी समझौता किसी तरह करने की कोशिश ना करें।ना ही कोई शर्त पत्नी की मानें। क्योंकि शुरुआत आपके लिए जरुर दुखद है पर बाद में आपकी पत्नी के लिये दुःखद होगी जब उसे कुछ भी मेंटेनन्स / गुजरा भत्ता नही मिलेगा |
- कोशिश यह करें कि आप अपनी पत्नी के सामने इस तरह से पेश आये कि आप डिप्रेशन में नहीं है और मन और मस्तिष्क में टेंशन ना रखकर रिलेक्स रहे। यह याद रखें फैमिली मैटर में कोई सजा या जेल का प्रावधान नहीं है इसलिए डरे बिल्कुल भी नही। सिर्फ मेंटेनन्स नही देने पर सजा है इसके अलावा और कुछ भी नही |
- सबसे जरुरी बात ये की आप इसके लिए किसी एक्सपर्ट और अच्छे वकील साहब को नियुक्त करे | सस्ते वकील साहब के चक्कर में नही पड़े | अगर आपके वकील साहब ने आपका मेंटेनन्स / गुजरा भत्ता बढ़ने से बचा लिया या फिर कम बधने दिया तो सोचये आप कितने पैसे बचा लेंगे |
जय हिन्द
द्वारा
ADVOCATE DHEERAJ KUMAR
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