पुलिस केस में सही जाँच नही करे ? तो क्या है क़ानूनी उपचार ?
अगर आपने किसी व्यक्ति ने पुलिस में कोई FIR रजिस्टर्ड करवाई है और पुलिस आपके केस में सही प्रकार से जाँच नही कर रही है जिससे की चार्ज शीट फाइल नही हो पा रही है या फिर दोषी व्यक्ति को बचाना चाहती है और केस को कमजोर करना चाहती है जिससे की दोषी व्यक्ति बरी हो जाये ? अगर ऐसा आपके साथ ऐसा हो रहा है और पुलिस आपकी शिकायत पर सही जाँच नही करे या फिर करने से मना कर दे और अगर ऐसे में आप उस पुलिस से अपने केस की प्रगति के बारे में जानना भी चाहते है तो वो पुलिस ऑफिसर आपको कुछ बताएगा भी नही, उल्टा डांट दे तो अलग बात है | आइये जानते है ऐसे में ये आपके साथ होतो आपके पास क्या कानून उपचार रह जाता है ?
हाइलाइट्स :-
केस डायरी धारा 172 CRPC क्या है
धारा 172/173/ 156 (3) / 482 crpc
धारा 166/ 167/ 120 B IPC
आर्टिकल 226
ऐसे आपके पास क़ानूनी 5 तरीके है जिससे आप उस पुलिस ऑफिसर को सही रस्ते पर ला कसते है, अपने केस में सही प्रकार से जाँच करवा सकते है | या फिर नही मानने पर उसको नौकरी से सस्पेंड भी करवा सकते है |
(एक बात आप जान ले की जब भी किसी जाँच अधिकारी को कोई केस/FIR मिलती है तो उस केस की एक डायरी भी बनती है जिसको हम “केस डायरी” कहते है जिसमे की केस की सारी डिटेल लिखी जाती है की इस केस के जाँच अधिकारी ने किस तारीख पर केस में क्या किया था | इस डायरी का विवरण crpc की धारा 172 में दिया गया है | की प्रत्येक [पुलिस ऑफिसर एक केस डायरी मेंटेन करेगा और उसमे केस में जाँच करने की रिपोर्ट की डिटेल लिखेगा | वैसे ये डायरी चार्ज शीट फाइल होने के बाद कोर्ट में भी नही दी जाती है | लेकिन पुलिस के रिकॉर्ड में हमेशा रहती है | इससे केस में पुलिस ऑफिसर IO की काबलियत और और उसके केस को इन्वेस्टीगेशन करने का पता चलता है की उसने केस को किस तरह से हैंडल किया है |) आइये जानते है उन 5 तरीको के बारे में …
1 RTI (राईट टू इनफार्मेशन )
अगर कोई भी पुलिस ऑफिसर आपकी FIR पर सही प्रकार से कोई भी जाँच नही कर रहा है तो ऐसे में आप अपने इलाके के DCP या SP/कमिश्नर ऑफिस में RTI लगा कर उससे अपने केस में प्रगति की जानकारी ले सकते है जिससे की आपको पता लगे की आपके केस में क्या चल रहा है | इससे उस पुलिस ऑफिसर के मन में डर भी पैदा होता है की आप अपने केस की डिटेल भी क़ानूनी रूप से मांग रहे है | वो ये डिटेल देने के लिए कानून द्वारा बाध्य भी होता है | तो ऐसे में वो डर कर केस में सही प्रकार से जाँच करना शुरू कर देगा | इसके अलावा आप कल को उसके खिलाफ कोई शिकायत भी करते है तो उसे साबित करने के लिए आपके पास सबूत भी बन जाता है |
2 बड़े ऑफिसर को शिकायत
अगर RTI के द्वारा बात नही बने तो आप उपर पुलिस ऑफिसर जैसे ACP/ DCP/commissioner/SP/DIG/IG को शिकायत कर सकते है और चाहे तो उस केस की RTI की कॉपी भी शिकायत के साथ लगा सकते है | इसके बाद वे पुलिस ऑफिसर उस जाँच अधिकारी से आपके केस की रिपोर्ट कॉल करते है और जाँच में गलत पाये जाने के बाद उसके खिलाफ एक्शन भी लेते है | वे उसको डांट कर आपके केस में सही जाँच करवा सकते है या फिर किसी और को आपका केस सोप सकते है या फिर जाँच अधिकारी की ट्रान्सफर कर सकते है या फिर उसको सस्पेंड भी कर सकते है |
(आप डिटेल के लिए मेरी निचे दी गई विडियो भी देख सकते है )
3 कोर्ट में स्टेटस रिपोर्ट की मांग
अगर उपर पुलिस ऑफिसर से शिकायत करने से भी बात नही बने तो आप कोर्ट का सहारा ले सकते है इसके लिए आप कोर्ट में धारा 156(3) CRPC में स्टेटस रिपोर्ट की एप्लीकेशन लगा सकते है | वैसे इस धारा में FIR रजिस्टर्ड होती है लेकिन हम इसी धारा में स्टेटस रिपोर्ट भी मंगवा सकते है | इसमें आप धारा 172 और 173 CRPC को भी मेंशन करते है | धारा 172 CRPC में हम केस डायरी मंगवाते है जिसमे की केस की प्रोग्रेस लिखी होती है और धारा 173 CRPC में हम केस में चार्ज शीट फाइल के लिए कहते है |
कोर्ट को ही केस डायरी देखने की इजाजत होती है | ऐसे में अगर कोर्ट को पुलिस की जाँच गलत लगे तो कोर्ट उस पुलिस ऑफिसर की शिकायत उपर ऑफिसर को भेज कर उसके खिलाफ कार्यवाही और नये पुलिस ऑफिसर के अपॉइंटमेंट के आदेश दे सकती है | अगर कोर्ट आपकी बात नही माने तो आप अपील में उपर की कोर्ट में जा सकते है |
4 जाँच अधिकारी के खिलाफ FIR करवाने के लिए
अगर आप को लगता है की जाँच अधिकारी दोषी व्यक्ति को बच रहा है या फिर किसी कागज या एविडेंस को बदल या समाप्त कर रहा है तो ऐसे में हम उसके खिलाफ FIR करवा सकते है, पुलिस डिपार्टमेंट तो आपकी सुनेगा नही, क्योकि उनके स्टाफ के खिलाफ केस है तो ऐसे में आप कोर्ट का सहारा लेना चाहिए | कोर्ट में धारा 156(3) CRPCमें आवेदन करके | उसके खिलाफ FIR करवाते है | इसमें हम धारा 166 IPC में अपनी ड्यूटी नही करने के लिए और धारा 167 IPC में कोई भी गलत दस्तावेज बनाने के लिए केस करत है धारा 166 IPC 1 साल तक की सजा और जुर्माना दोनों होते है इसके अलावा धारा 167 IPC में 3 साल तक की सजा और जुर्माना दोनों हो सकते है इसके अलावा आप अगर वो कोई और भी अपराध करता है जैसे की दस्तावेजो की कूटरचना या फिर गवाहों को डराना इत्यादि, तो आप उसके लिए भी कानून के हिसाब से सेक्शन लगा सकते है |
5 हाई कोर्ट में 482 CRPC या आर्टिकल 226 में आवेदन
अगर पुलिस फिर भी आपकी नही सुनती है या फिर कोर्ट आपके लिए कोई apropriate आदेश नही देती है तो आप सीधे हाई कोर्ट में अपने लिए धारा 482 CRPC में जा सकते है | ऐसा कुछ नही है की केवल दोषी व्यक्ति ही इस धारा में जा सकता है शिकायत करता भी इस धारा में जा सकता है | हाई कोर्ट इसमें उस जाँच अधिकारी को बुला कर के की रिपोर्ट लेती उसकी केस डायरी देखेती है | अगर हाई कोर्ट को केस में जाँच सही नही लगी तो वो उस पुलिस ऑफिसर को सस्पेंड करने के आदेश भी राज्य सरकार को दे सकती है और केस में सही तरीके से जाँच करवाने के लिए किसी नये काबिल पुलिस ऑफिसर को अपॉइंटमेंट के लिए आदेश भी दे सकती है | और केस में आगे तारीख देकर केस की जाँच को चेक भी करती रहती है , जब तक केस में चार्ज शीट नही फाइल हो जाये |
for online legal advise call 9278134222 fees rs. 1000/- will be applicable.
जय हिन्द
Written by
Advocate Dheeraj Kumar
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Rajendra sharma
False allegations 304b 201 34 lagaya gya pure parivar per Jiske chalte husband and Devar jail v face kiya or baalik log surrender nhi kiye Ab police 173 2 crpc ke through 498 a or 341 323 504 34 laga Kar Chargesheet file kr dee Kya kare Sir help
Advocate_Dheeraj
Rajendra sharma जी,
केस डिटेल के साथ सम्पर्क करे | मेरी डिटेल वेबसाइट पर दी गई है
Poonam
Hello sir,main sasuraal gayi thi jabardasti,to sasural walo ne phir se ghar se Nikal diya,to maine police ko call Kiya, police aayi to kehne lagi k jab tumne court case kar Rakha h,to sasuraal aane ka kya mtlb hota h,sir maine women cell me bhi daal Rakha h,but koi sunwai nahi ho Rahi h,mera saara samaan sasuraal me hi h, lockdown ki vajah se court me ek bhi date nahi lag paayi,8 mahine ho Gaye,husbnd divorce ki dhamki de rahe h,main Aisa kya karu jisse k main sasural Jaa saku.please help me sir,
Advocate_Dheeraj
Poonam जी,
पुलिस की बात नही माननी है, वो तो ऐसा ही कहेगी,
आप को मैंने कॉल के लिए बोला था, आप जानकारी लेकर जाती तो ऐसा नही होता, ऐसे बिना त्यारी के जाने से ऐसा ही होता है,
अब आप कोर्ट में आवेदन करे, स्पेशल एप्लीकेशन लगाये, अभी कोर्ट लॉक डाउन में भी सुन सकती है |