कुर्की के आदेश कब और क्यों दिए जाते हैं ? इमका प्रोसीजर क्या है ?
स्पेशल हाइलाइट्स :-
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- attachment of law/कुर्की वारंट क्या है ?
- कुर्की वारंट के आदेश कब जारी होते है ?
- फरार अभियुक्त कौन है ?
- कुर्की वारंट करने की क़ानूनी प्रकिर्या क्या है ?
- कुर्की वारंट की संपत्ति दुसरे स्टेट की होने की स्तिथि में ?
- कुर्क वारंट होने वाली संपत्ति को मुक्त कैसे करवाए ?
- किन वस्तुओ की कुर्की की जा सकती है ?
- किन वस्तुओं की कुर्की नहीं की जा सकती ?
- कुर्की वारंट के आदेश की अपील ?
- कुर्की वारंट से कैसे बचे ?
attachment of law/ कुर्की वारंट क्या है ?
जब किसी व्यक्ति के खिलाफ कोर्ट में केस पेंडिंग हो और वह फरार चल रहा हो या फिर कोर्ट के आदेश अनुसार पैसे, वस्तु या सम्पति कोर्ट को सपुर्द नही करे तो, कोर्ट उसके खिलाफ पैसे, वस्तु या सम्पति की रिकवरी के आदेश जारी कर देता है, और वो व्यक्ति उस आदेश का पालन नही करे तो उस पैसे या सम्पति की रिकवरी के लिए प्रशासन को जो आदेश जारी होते है वो attachment या कुर्की वारंट कहलाये जाते है CRPC की धारा 82 से 86 में इसका विस्तृत रूप से विविरण दिया गया है | (ये आदेश क्रिमिनल केस में स्व्यज्ञान द्वारा और सिविल केस या सिविल टाइप केसों में execution फाइल करने पर होते है)
कुर्की के आदेश कब जारी होते है ?
- जब किसी व्यक्ति के खिलाफ किसी भी प्रकार का कोई भी सिविल रिकवरी का केस कोर्ट में चल रहा हो और उसके खिलाफ कोर्ट में जजमेंट पास हो जाए और वो व्यक्ति उस आदेश पालन नही करे तब उसके खिलाफ execution फाइल करने पर उस में कुर्की वारंट का आदेश पारित होता है |
- अगर किसी व्यक्ति को क्रिमिनल केस में भी किसी प्रकार के पैसो, प्रॉपर्टी या समान के नुकशान का दोषी पाया जाता है और उसके खिलाफ इसकी रिकवरी के आदेश दिए जाए और वो इसका पालन नही करे तब |
- अगर किसी व्यक्ति ने किसी अपराधी की कोर्ट में जमानत दी हो और वो कोर्ट के आदेश से वो पैसा कोर्ट में जमा नही करे तब |
- सिविल और क्रिमिनल केसों अलावा, सिविल टाइप केसों में जैसे MACT केस / धारा 138 NI act / घरेलू हिंसा में खर्चा/ धारा 125 crpc में खर्चा वाले केसों के भी आदेश इसमें शामिल है | जिनमे सामने वाली पार्टी कोर्ट के आदेश पर पैसे जमा नही करे तब |
- इसके अलावा अगर कोर्ट ने केस की किसी भी प्रोसेडिंग के बिच में या आखिरी में जजमेंट कोई आदेश दिया है जिसका दोषी व्यक्ति को नही पता है या फिर वो जानबूझ कर उस आदेश की अवहेलना कर रहा है तब भी |
फरार अभियुक्त किसे कहा जाता है
इसका विवरण धारा 82 CRPC में है | अगर कोर्ट को किसी कारणवश यह विश्वास है कि जिस व्यक्ति के खिलाफ उसने वारंट जारी किया गया है, वह व्यक्ति स्वय को कोर्ट से छुपा रहा है । तो कोर्ट धारा 82 के तहत ऐसे व्यक्ति को फरार मान लेती है और फरार व्यक्ति के संबंध में कोर्ट लिखित घोषणा को अमुक व्यक्ति के नाम पर प्रकाशित करवा देती है । प्रकाशित घोषणा में उस व्यक्ति से यह अपेक्षा होगी कि वह घोषणा में दिए गए स्थान व समय पर उपस्थित हो जाएं । ये प्रकाशन न्यूज़ पेपर में या उसके मकान में समन के रूप में छिपाया जाता है | आइये जाने घोषणा पत्र/ समन की प्रकिर्या क्या है |
- समन को उस स्थान पर चिपकाया जाता है जहां फरार व्यक्ति सामान्य तौर पर निवास करता है और सहज और सुलभ स्थान पर जहा से उसे सार्वजनिक रूप से पढ़ा जा सके ।
- समन की एक प्रति न्यायालय के उस स्थान पर लगाई जाएगी जहां वह आसानी से नजर आए व पढ़ी जा सके । सामान्यत: उसी कोर्ट रूम के सामने |
- न्यायालय आवश्यक समझे तो उस गांव या शहर के दैनिक समाचार पत्र में भी घोषणा/समन की प्रति प्रकाशित करवा सकती है । जहां पर वह व्यक्ति सामान्य तौर पर निवास करता है ।
- उद्घोषणा जारी करने वाला न्यायालय निश्चित करेगा की वैधानिक ढंग से उस घोषणा का प्रकाशन कर दिया गया है और इस क्रम में कानूनी अपेक्षाएं पूर्ण कर दी गई है ।
कुर्की वारंट करने की प्रोसेडिंग / क़ानूनी प्रकिर्या क्या है ?
किसी भी व्यक्ति के समान या सम्पत्ति की कुर्की धारा 83 CRPC में की जाती है | क्रिमिनल और सिविल केसों में इसकी प्रोसेडिंग अलग होती है | जब की कई क्रिमिनल केसों जैसे MACT केस / धारा 138 NI act / घरेलू हिंसा में खर्चा/ धारा 125 crpc में खर्चा की प्रकिर्या सिविल प्रकार की होती है |
क्रिमिनल केसों की बात करे तो अगर कोई व्यक्ति क्रिमिनल केसों में कोर्ट की अवहेलना करता है या फिर उसके आदेश को नही मानता है तो हम उसी कोर्ट में केस के चलते ही धारा 82 और 83 में एप्लीकेशन लगाते है जिसमे की कोर्ट धारा 82 में उसके वारंट जारी करती है और धारा 83 में उसके खिलाफ कुर्की के आदेश देती है | बिलकुल ऐसा ही जमानती के लिए भी होता है जैसे ही कोई जमानती, फरार दोषी वयक्ति को कोर्ट में लाने में असफल हो जाता है और जमानत के पैसे भी कोर्ट में जमा नही करता है, तब कोर्ट स्वय ही बिना किसी एप्लीकेशन के सिर्फ सामने वाली पार्टी की रिक्वेस्ट पर या स्टेट केस होने पर बिना इसके भी स्वयज्ञान लेकर कुर्की के आदेश जारी कर देती है |
अगर सिविल केसों की बात करे तो सिविल केसों के अलावा भी कई केस ऐसे है जो की क्रिमिनल और सिविल दोनों प्रकार की प्रकर्ति के है जैसे की MACT / धारा 138 NI act / घरेलू हिंसा में खर्चा/ धारा 125 crpc में खर्चा वाले केस, इन केसों में कोर्ट कुर्की वारंट के लिए सिविल प्रकिर्या अपनाती है |
इन केसों में और सिविल केसों में कोर्ट के धन या सम्पति के लिए आदेश दे देती है | तब आवेदन कर्ता को execution का अलग से एक केस उसी कोर्ट में फाइल करना होता है | इसमें हम साधारण रूप से एप्लीकेशन बना कर अपना पैसा या सम्पति पर कब्जे की बात लिखते है और साथ ही अपने फेवर में पास हुई आदेश की प्रति भी लगाते है इसके साथ ही अपनी परेशानी के लिए हर्जाने का भी जिक्र करते है | जिसमे कोर्ट कुर्की के आदेश पारित करती है और साथ ही हर्जाने के रूप में कोई भी अगल से पैसे के आदेश भी | इस केस को हम execution कहते है | इसी execution की एप्लीकेशन में कुर्की वारंट के आदेश जारी होते है |
- छोटे केसों में सामान की रिकवरी के लिए कोर्ट के आदेश पर बेलिब जाता है जो की कोर्ट के द्वारा appoint एक व्यक्ति होता है | जो की कोर्ट द्वारा दी गई विशेष ड्रेस भी पहने होता है | उस समय वो एक रूप से जज के सभी पॉवर को ग्रहण किये होता है | वो सामान को जब्त भी कर सकता है |
- जहा कोई प्रॉपर्टी या जमीन के किसी भू भाग से रिकवरी क्र्रनी हो तो कोर्ट उसके लिए जिला मजिस्ट्रेट को आदेश देती है, इसमें रिसीवर appoint होता है | वो उस जमीन की वैल्यू निर्धारित करके उसकी नीलामी की प्रकिर्या शुरू करता है | इसके लिए कोर्ट न्यूज़ पेपर में प्रकाशन का भी सहारा लेती है |
- कुर्की की सम्पत्ति यदि पशुधन है अथवा नष्ट होने वाली प्रकृति की है तो न्यायालय उचित समझे तो उसको तभी रिसीवर नियुक्त करके बिना प्रकाशन के भी बेच सकती है । और जो धन प्राप्त होगा न्यायालय के आदेश के अधीन रहता है, बात में आवेदनकर्ता को दिया जाता है ।
- अगर कुर्की किसी भू भाग की होनी है और वो रिकवरी अमाउंट से ज्यादा है तो सिर्फ उतने ही भूभाग को कुर्की किया जा जायेगा जितने की जरूरत है बाकी जयादा पैसा आने पर उसे दोषी व्यक्ति को वापस कर दिया जाता है | अगर ऐसा करना सम्भव नही है तो सारे को बेच कर बचा हुआ पैसा दोषी को दे दिया जता है |
- रिसीवर की शक्तियां कर्तव्य और अधिकार सिविल प्रक्रिया संहिता 1908 (का 5) के अधीन नियुक्त रिसीवर के समान होते है ।
कुर्की की संपत्ति दुसरे स्टेट की होने की स्तिथि में ?
जैसे आपने कोई केस दोषी व्यक्ति के खिलाफ जीत लिया है लेकिन उसकी सम्पति अचल है जैसे की कोई जमीन, तो ऐसे में हम सबसे पहले उसी कोर्ट में execution फाइल करेंगे और सम्पति बाहर स्टेट में पाए जाने के कारन वही कोर्ट आवेदन कर्ता को लिखित आदेश देगी की वो उस स्टेट में जाकर कोर्ट में दुबारा execution का केस करे | तब आवेदनकर्ता वहा उस सम्पति/ जमीन के क्षेत्राधिकार में आने वाले न्यायलय में जाकर execution का केस फाइल करता है | और उसी प्रकार केस चलता है और दोषी की सम्पति कुर्की/नीलाम कर दी जाती है
कुर्की होने वाली सम्पति के विषय में कोई व्यक्ति दावा या आपत्ति करे तब ?
इसका विवरण धारा 84 CRPC में दिया गया है की, जब कुर्की होने वाली सम्पति के विषय में कोई व्यक्ति दावा या आपत्ति करता है तो ऐसे व्यक्ति को ऐसा दावा और संपत्ति कुर्क होने की तारीख के 6 महीने के भीतर करना होगा | दावा या आपत्ति करने वाला शख्स खुद घोषित व्यक्ति स्वयं ना हो यानि फरार व्यक्ति नही होना चाहिये ।
अगर दावेदार जीवित नही है तो उसके लीगल हियर यानी की वारिस ये दावा कर सकते है | ऐसे दावे की जाँच के बाद ही कुर्की के लिए नये आदेश दिए जाते है |
कुर्की की सम्पति गिरवी या सरकारी टैक्स देने के लिए पेंडिंग हो तो ?
एक बार किसी Property के कुर्की के आदेश दे दिए गए हैं पर वह Property गिरवी रखी हुई है या फिर कोई चल संपत्ति है तो ऐसी प्रॉपर्टी के लिए एक रिसीवर को नियुक्त किया जाता है जो की कुर्की करके सबसे पहले गिरवी घन वाली पार्टी को पैसा देती है और टैक्स होने की स्तिथि में टैक्स डिपार्टमेंट को और बचे हुए पैसे से अपना खर्चा पूरा करती है | तथा कोर्ट गिरवी घन व्यक्ति और टैक्स डिपार्टमेंट से अपने इस कुर्की या नीलामी के कार्य का पैसा भी लेती है |
यदि फरार अभियुक्त हाजिर हो जाता है तो कुर्की होगी या नहीं ?
यदि फरार व्यक्ति कुर्की से पहले आ जाता है तो कुर्की को रोक कर उसके खिलाफ कोर्ट केस चलेगा | अगर उसे केस में भी पैसे या सम्पति देनी ही है तो उसे दिए गये समय में पैसे और सम्पति देनी की छुट होगी, अगर वह कोर्ट का आदेश नही मानता है या कोई अपील स्वीकार नही होती है तो कुर्की तो होगी ही |
यदि कुर्की हो चुकी है और कुर्की में संपत्ति का कुछ भाग ही विक्रय किया गया है और विक्रय से प्राप्त शुद्ध धन में से कुर्की के खर्चे काटकर, कुछ राशी बच जाती है तो, शेषफल और बची हुई संपत्ति वापस कर दी जाती है ।
कुर्क होने वाली संपत्ति को मुक्त कैसे करवाए ?
धारा 85 CRPC के अंतर्गत कुर्की की हुई संपत्ति को मुक्त कर देना या बेचना या फिर वापस करने का प्रावधान दिया गया है। यदि फरार व्यक्ति निर्धारित किए गए समय के अंदर हाजिर हो जाता है तो कोर्ट संपत्ति को कुर्की से मुक्त करने का आदेश दे देती है। लेकिन बाद में पैसा नही देने पर दुबारा भी कुर्क कर सकती है ?
अगर फरार व्यक्ति घोषणा के समय के अंदर हाजिर ना हो तो कुल संपत्ति राज्य सरकार के अधीन रहेगी । 6 महीने का समय कुर्की के आदेश गुजर जाने के पश्चात संपत्ति के किसी दावे या आपत्ति का निराकरण होने के पश्चात ही विक्रय किया जा सकता है । लेकिन संपत्ति यदि नष्ट होने वाले प्रकृति की है और उसका विक्रय करना स्वामी के हित में हो, तो न्यायालय कभी भी उसका विक्रय करवा सकती हैं ।
अगर फरार व्यक्ति घोषणा के समय के अंदर हाजिर ना हो तो अगर कुर्क की गयी सम्पत्ति राज्य सरकार के अंतर्गत रहती है। अगर कुर्की की तारीख से 2 साल के अंदर, वह व्यक्ति जिसकी की संपत्ति राज्य सरकार के अंतर्गत रही है वह कोर्ट के सामने उपस्थित हो जाता है या फिर उपस्थित कर दिया जाता है जिसके आदेश से कुर्की की गई थी और वह यह साबित कर देता है कि वह वारंट के डर से या किसी अन्य उद्देश्य से नहीं छुपा था | उसे सिर्फ वारंट की सूचना नहीं मिली थी तो कुर्की की हुई सम्पति को वह वापस पा सकता है |
अगर प्रॉपर्टी बेचने से कुछ पैसा का कुछ भाग बेच दिया गया है | या है तो बेचने के बाद जो भी पैसा मिला है वह कोर्ट के खर्चे काटकर प्रॉपर्टी के मालिक को वापस कर दिया जाता है। धारा 86 CRPC कुर्की की संपत्ति की वापसी के लिए आवेदन नामंजूर करने वाले आदेश के सम्बन्ध में अपील है। फरार व्यक्ति को अगर प्रॉपर्टी को बेचने के बाद जो भी पैसा आया था उसे वापस करने के आदेश नहीं होते हैं तो वह व्यक्ति उस कोर्ट में अपील कर सकता है जहां पर पहली बार उसे दंड दिया गया था।
किन सम्पत्तियों को कुर्क किया जा सकता है ?
CPC की धारा 60 के अंतर्गत जमीन, मकान, माल, मुद्रा, चेक, लेनदेन के कानूनी पेपर, वचन पत्र और बेचने लायक चल और अचल संपत्ति वह कुछ भी हो सकते हैं।
किन सम्पत्तियों को कुर्क नही किया जा सकता है ?
लेकिन सीपीसी की धारा 60 यह भी बताती है कि कुछ संपत्तियों को कुर्क नहीं किया जा सकता जैसे :-
लेकिन CPC की धारा 60 यह भी बताती है कि कुछ प्रॉपर्टी को कुर्क नहीं किया जा सकता है और वह कुर्क ना होने वाले प्रॉपर्टी है पानी, बच्चों के कपड़े, ओढ़ने बिछाने के कपड़े, बर्तन, स्त्री के आभूषण, शिल्पकार, लकड़ी का कारीगर और सोने की कारीगरी करने वाले व्यक्तियों के औजार, उपकरण आदि। ऐसी चीजों को कुर्क नहीं किया जा सकता। पालन पोषण और भविष्य के अधिकार की कुर्की भी नहीं की जा सकती। सेना अधिनियम जहां लागू होता हो वहां व्यक्ति के वेतन की कुर्की भी नहीं की जा सकती है ।
मुकदमा कायम करने के अधिकार को कुर्क नहीं किया जा सकता क्योंकि यह नुकसान के खिलाफ सुरक्षा प्रदान करता है। व्यक्ति की पेंशन को भी कुर्क से मुक्त रखा गया है। भविष्य निधि खाते में जमा धन और जीवन बीमा पॉलिसी का पैसा भी कुर्की के खिलाफ सुरक्षा प्रदान करता है। मजदूर और सेवकों को मजदूरी देने वाली वस्तुओं को भी कुर्क नहीं किया जा सकता, किसानों की आजीविका से संबंध रखने वाली चीजों को भी कुर्की से अलग रखा गया है। सरकारी कर्मचारियों को भत्ते की स्वरूप जो भी धन मिलता है, उसे भी कुर्क नहीं किया जा सकता है ।
कुर्की वारंट के आदेश की अपील
CRPC की धारा 86 में कोर्ट द्वारा सम्पत्ति के कुर्क करने वाले आदेश के खिलाफ अपील का प्रावधान है | फरार व्यक्ति चाहे तो उच्च न्यायालय में आदेश के खिलाफ अपील कर सकता है । जिसके प्रथम रूप से उल्लेख किए गए न्यायालय के दंडादेशों से संबंध रखती अपीले की जा सकती है
कुर्की वारंट से कैसे बचे ?
वैसे हर केस के अनुसार बचने के अलग अलग रस्ते है | जैसे जमानत का केस है तो जमानती को पेश कर दे | MACT का केस है तो क्लेम के लिए उपर अपाल करे और अमाउंट सही करवाए |अगर 138 का केस है तो मृत पर लडे | नही बने तो पैसा देना ही होगा | अगर जमीन का केस है तो किसी और हिस्सेदार से केस करवा दे और केस को लम्बा खिचे, जिससे की कुर्की नही हो सके इस बिच स्टे हटवा कर उसे बेच भी सकते है | और भी बहुत से रस्ते है जो की केस के अनुसार अलग अलग हो सकते है |
जय हिन्द
Written by
ADVOVCATE DHEERAJ KUMAR
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Rahul Kumar yadav
Check Jo ki main3.5 lakh security ke liye Diya tha wo bhi 2016 me bank me lagakar bounce karakar mujhe dhamki deta hai aur gaadi bhi nahi de raha hai finance company ki taraf se mujhe 10 days settalment notice aaya hai
Advocate_Dheeraj
Rahul Kumar yadav जी,
पुलिस में गाड़ी चोरी की शिकायत करके वहा से रिकवर करा ले फिर कोर्ट से छुड़ा ले | धमकी के लिए पुलिस में शिकायत दे | जायदा जानकारी के लिए काल करके सलाह ले, डिटेल वेबसाइट पर दी गई है |
Rahul Kumar yadav
Sir Maine truck liya tha jisse liya tha ushe mujhe 3.5 lakh Dena baaki tha Jo ki Maine 2.5 lakh de diya tha jinke thru Maine gaadi like this unke account par Maine transfer rtgs kiya tha jisse gaadi like this 7 mahine gaadi khub Chala Kar ke bhi mujhe ek bhi Paisa nahi Diya mujhse Paisa bhi le Chala hai pura aur truck ko bhi apne pass rakha liya hai finance company ki taraf se mujhe settalment notice AA raha hai sir please suggest mujhe Kya karna chaiye notice me 10 din ka time hai
Advocate_Dheeraj
Rahul Kumar yadav जी,
अगर ट्रक आपके नाम है तो उससे आप क़ानूनी रूप से उससे वापस ले सकते है, अगर नही है तो जिनको पैसा दिया था उनपर रिकवरी सूट डालेगा, ज्यादा जानकरी के लिए कॉल करके सलाह ले |